मेरे बच्चों! - कविता - रुचा विजेश्वरी

मेरे बच्चों!

जब तुम 
मेरी उम्र में पहुँचोगे, 
घर के साथ सुनने पड़ेंगे ताने समाज भर के...

तुम सुनने की आदत डाल लेना, तुम्हे मिलेंगे कइयों प्रपोजल 
तुम हवस
और प्रेम की
पहचान रखना 
जब तुम बढ़ती जाओगी
लोग तुम्हारे अतीत को 
खगालेंगे, 
तुम्हारी कमज़ोरियों पर
तंज कसेंगे
लेकिन तुम बढ़ती जाना
अपनी ज़िंदगी के फीके पड़े हिस्से में
रंग भरने के लिए।

रुचा विजेश्वरी - उत्तरकाशी (उत्तराखंड)

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