संदेश
आज कुछ लिखने का मन है - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन तक़ती : 2122 2122 आज कुछ लिखने का मन है, प्रीत का जागा बचपन है। मिलन दिल को छूने आ रहा, विरह कर रहा पला…
मुझमें जीने लगे हो तुम - कविता - रेणु अग्रवाल
मुझमें जीने लगे हो तुम ऐसे कि जैसे मुंशी प्रेमचंद की कहानियों में सुख-दुख को आपस में बाँट जीवंत हो उठते हैं पात्र। मुझमें जीने लगे हो …
नहीं ये दिल सम्भलता है - गीत - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
मिलन को आपसे प्रियवर, बहुत ही मन मचलता है। बहुत रोका मचलने को, नहीं ये दिल सम्भलता है॥ मिलन के दृश्य अब अपनें, स्वप्न में आ भटकते हैं…
प्रेम मिलन परिणीत हिय - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अनुबन्धन मधुमास प्रिय, कहाँ छिपे चितचोर। बासन्ती मधुरागमन, प्रेम नृत्य प्रिय मोर॥ कोमल प्रिय ललिता लता, मैं कुसुमित नवप्रीत। नव वसन…
सच्चे प्यार का रिश्ता - कहानी - मानव सिंह राणा 'सुओम'
आज राजकुमार सुबह से ही बहुत ख़ुश था। आज वो पिछले पाँच वर्ष बाद अपने घर जा रहा था। सभी पैकिंग तो कल ही कर दी थी। न्यूयॉर्क से उसकी फ्लाइ…
कब मिलोगे बोलिए जी - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन तक़ती : 2122 2122 कब मिलोगे बोलिए जी, चुप ज़ुबाँ को खोलिए जी। याद में छुप कर बहुत दिन, अब बहुत दिन रो लिए ज…
वो ग़ज़ल तुम्हारी है लेकिन वो मेरे मन की भाषा है - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
वो ग़ज़ल तुम्हारी है लेकिन वो मेरे मन की भाषा है, जब भी पढ़ती हूँ लगता है यह जन्मों की अभिलाषा है। हर शब्द शब्द कहता मुझसे यह है मेरी ह…
प्रेम - कविता - गोलेन्द्र पटेल
संबंध टूटता है समय के कंठ से उत्तर फूटता है 'प्रेम क्या है? कबीर का अढ़ाई अक्षर है? बोधा की तलवार पर धावन है?' 'ना, भाई, ना…
तुम्हें पाकर - कविता - प्रवीन 'पथिक'
तुम्हें पाकर, लगता है ऐसे; जैसे जीवन की परिभाषा बदल गई है। अंतःकरण की रिक्तता, पूर्णता में परिवर्तित हो गई है। एक अज्ञात चिंता! जो कुर…
संधि की शर्तों पे कायम हो गई है दोस्ती - ग़ज़ल - प्रशान्त 'अरहत'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 2122 212 संधि की शर्तों पे कायम हो गई है दोस्ती, अब नए आयाम गढ़ती जा …
अच्छे दिन - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी
आने वाला अब नया साल है, लो बीत गया दिसम्बर है। न उसको मेरी कोई ख़बर, न उसकी मुझको कोई ख़बर है। मौन अधर और खुले नयन, कैसे हो बिन नींद शयन…
आलिंगन - कविता - शुभा मिश्रा
तुम्हारे आलिंगन में सारी पीड़ाएँ परास्त हो जाती हैं चिर व्याकुल, उद्वेलित आक्रोश, चुप्पी गल कर बह जाता है। कटु यात्राओं से संतप्त मन …
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ? - कविता - जितेन्द्र शर्मा
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ? मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ? जब प्रेम दिवानी बाला को, दैत्य कोई फँसाता है, किसी पिता की श्रद्धा को, टुकड़ों में बा…
प्रीति - गीत - संजय राजभर 'समित'
हाज़िर हूँ मैं पलक बिछाए, तेरी ही अभिनंदन में। शुभगे! बाँध लिया है तुमने, मुझे प्रीति के बंधन में॥ नीरस जीवन था तब मेरा, मारा-मारा फिरत…
पहेली जीवन की - कविता - प्रवीन 'पथिक'
अनबुझ पहेली जीवन की, जो बचा रहा वह नहीं रहा। जो टीश कभी उठी नहीं, वह शूल न हमसे सहा गया। कितनी नदियों का पता नहीं, जो जहाॅं चली, वो वह…
सचमुच ही मर जाएगा - गीत - रमाकान्त चौधरी
साथ अगर जो छोड़ा तुमने, कुछ ऐसा कर जाएगा। रोज़-रोज़ जो तुमपर मरता, सचमुच ही मर जाएगा॥ इस हृदय का तेरे सिवा, किसी से कोई अनुबंध नहीं, सारी…
प्रीति के रंग - सरसी छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
भीनी-भीनी सुगंध लेकर, आयी पुरवा द्वार। तन मन भीगे-भीगे दिखते, दिलों प्रेम संचार॥ अंगन-अंगन हलचल दिखती, प्यार-मुहब्बत साथ। प्रेम-प्यार …
वह तुम्हीं थी - कविता - प्रवीन 'पथिक'
तुम्हारा यूॅं मिलना; जैसे मुरझाते पौधों की, धमनियों में प्रेम जल का प्रवाह होना; जिसका पल्लवन ये सुंदर पुष्प है। तुझसे पूर्व, तुम्हारी…
प्रेम की भाषा - त्रिभंगी छंद - संजय राजभर 'समित'
अंतः से बोलो, मधु रस घोलो, प्रेम सरल हो,धाम करें। ममता की भाषा, सबकी आशा, पशु भी समझे, काम करें॥ परखते हैं खरा, समझो न ज़रा, प्यार तो त…
तुम हो, तुम्हारी याद है - कविता - प्रवीन 'पथिक'
तुम हो, तुम्हारी याद है और क्या चाहिए! दिल में एक जज़्बात है, और क्या चाहिए! हृदय में उमड़ता सागर है, बहते ख़्वाबों के झरने हैं। तुझे …
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