प्रेम - कविता - गोलेन्द्र पटेल

संबंध टूटता है
समय के कंठ से उत्तर फूटता है

'प्रेम क्या है?
कबीर का अढ़ाई अक्षर है?
बोधा की तलवार पर धावन है?'
'ना, भाई, ना
प्रेम–
आँखों की भाषा में
मन के विश्वास से उपजी
हृदय की मुक्तावस्था के लिए
आत्मा की आवाज़ है'

'क्या यह मित्रता को मुहब्बत में तब्दील करने की–
भावना में वासना भरने की–
छद्मवेश धरने की–
वस्तु है?'
'ना, भाई, ना,
प्रेम–
व्यक्तित्व में
उदात्त होने का तथास्तु है!'

गोलेंद्र पटेल - चंदौली (उत्तर प्रदेश)

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