मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ? - कविता - जितेन्द्र शर्मा

मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?

जब प्रेम दिवानी बाला को,
दैत्य कोई फँसाता है,
किसी पिता की श्रद्धा को,
टुकड़ों में बाँटा जाता है,
तब मैं कैसे मुस्काऊँ?
मन चाहे! ज्वाला बन जाऊँ!
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?

देवालय के शीर्ष पर,
जो ध्वजा बन फहराता है!
सर्वोच्च रंग तिरंगे को,
बेशर्म बताया जाता है!
तब मैं कैसे इतराऊँ?
मन चाहे! ज्वाला बन जाऊँ!
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?

दान-दहेज की वेदी पर,
कोई वधु बलि चढ़ जाती है!
नर पिशाच के हाथों से,
कोई कली जब मसली जाती है,
तब मैं कैसे इठलाऊँ?
मन चाहे! ज्वाला बन जाऊँ!
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?

जितेंद्र शर्मा - मेरठ (उत्तर प्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos