जितेंद्र शर्मा - मेरठ (उत्तर प्रदेश)
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ? - कविता - जितेन्द्र शर्मा
बुधवार, दिसंबर 28, 2022
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?
जब प्रेम दिवानी बाला को,
दैत्य कोई फँसाता है,
किसी पिता की श्रद्धा को,
टुकड़ों में बाँटा जाता है,
तब मैं कैसे मुस्काऊँ?
मन चाहे! ज्वाला बन जाऊँ!
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?
देवालय के शीर्ष पर,
जो ध्वजा बन फहराता है!
सर्वोच्च रंग तिरंगे को,
बेशर्म बताया जाता है!
तब मैं कैसे इतराऊँ?
मन चाहे! ज्वाला बन जाऊँ!
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?
दान-दहेज की वेदी पर,
कोई वधु बलि चढ़ जाती है!
नर पिशाच के हाथों से,
कोई कली जब मसली जाती है,
तब मैं कैसे इठलाऊँ?
मन चाहे! ज्वाला बन जाऊँ!
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊँ?
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर