संदेश
तूलिका ने कहा ना लिखूँगी प्रणय - कविता - राघवेंद्र सिंह
तूलिका ने कहा ना लिखूँगी प्रणय, इस प्रणय का समापन तो वैराग्य है। इस प्रणय में बँधे कृष्ण थे राधिका, अंततः राधिका को मिली सिसकियाँ। वेद…
तेरे मन का मैं ही राजा - गीत - संजय राजभर 'समित'
मैं जानता हूॅं राज़ तेरा, खोई-खोई रहती हो। तेरे मन का मैं ही राजा, आँखों से तुम कहती हो। तुझे जाना होता है कहीं, पर, कहीं पहुॅंच जाती ह…
जिस दिन समझ लोगे - गीत - प्रमोद कुमार
जिस दिन समझ लोगे मेरे प्यार को तुम, मज़ा ज़िंदगी का आने लगेगा। आँखों में सपने सजने लगेंगे, नशा बेख़ुदी का छाने लगेगा। अँखियों के रस्ते से…
प्रेम स्मृति - कविता - सूर्य प्रकाश शर्मा
मेरी स्मृतियों में हो तुम, मैं तुम्हें भुला दूँगा कैसे? अपनी यादों की तिलांजलि, बोलो आख़िर दूँगा कैसे? जो साथ तुम्हारे बीते थे, वो पल अ…
वो कहती है कि - कविता - सत्यकाम
वो कहती है कि, अभी साथ हूँ तुम्हारे, पर आख़िरी वक्त तक की उम्मीद ना रखना, क्योंकि आज और कल में फ़र्क़ है थोड़ा। वो कहती है कि, साथ हूँ मैं…
प्रेम की परिभाषा में - कविता - नंदनी खरे 'प्रियतमा'
अर्पण लिख दूँ, समर्पण लिख दूँ लिख दूँ पा लेना सब कुछ या त्याग का दर्पण लिख दूँ मीरा का तप त्याग लिख दूँ सिया का बैराग लिख दूँ या राधा …
देर लगे पर आना तुम - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
बूँद-बूँद बरसात जब हो सावन की सौग़ात जब हो दिल के दरिया में डूबा कोई ख़्वाब नया सँवार जब हो मेघ घिरे जब धरा-सरोवर रंगीन घटा बन जाना तुम…
तुम सच में राधा जैसी हो - कविता - सत्यकाम
तुम सच में राधा जैसी हो तुम तितली फूलों वाली हो तुम सावन झूलों वाली हो तुम ऊँची बनी हवेली हो तुम सुंदर नई नवेली हो तुम सुरा सूक्त वो प…
अरे! मतवाले कौन तुम - कविता - नंदनी खरे 'प्रियतमा'
अरे! मतवाले कौन तुम दिल छूने वाले कौन तुम कितना कुछ सुनना है तुमसे कहाँ बैठे हो मौन तुम सालों की बातें जोड़ी है सालों से सपने जोड़े है क…
प्रिय तुम कुछ बोलो - कविता - सुनीता प्रशांत
प्रिय तुम कुछ बोलो झोली शब्दों की खोलो थाम लूँगी उन शब्दों को सजा लूँगी माथे पर सहेजूँगी जीवन भर समेट लूँगी उन्हें मन में फैला द…
स्त्रीत्व - कविता - संजय राजभर 'समित'
जो पुरुष तृप्ति के बाद करवट लेकर नहीं सोता बल्कि वह अतृप्ता को आलिंगन में भर लेता है वह वासना नहीं बल्कि प्रेम करता है वह स्त्रीत…
इंतज़ार - गीत - दीपक कुमार
बड़ी मुद्दत पे आए हो, ज़रा दीदार करने दो। ठहरो ज़रा कुछ पल, नज़र दो चार करने दो। कुछ दिन जो तुम ठहरो यहाँ, बातें पुरानी कर लें हम। हम …
चल मोहब्बत लिखते हैं - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
एहसास के पन्ने पर चल मोहब्बत लिखते हैं और बनाते हैं कुछ नोट काग़ज़ के ख़रीद फ़रोख़्त के इस मौसमी दौर में मैं तुझे ख़रीदता हूँ तूँ मुझे …
तुम्हारे साथ - कविता - प्रवीन 'पथिक'
तुम्हारे साथ, चलना चाहता हूॅं, कुछ क़दम। ठहरना चाहता हूॅं, कुछ क्षण। बताना चाहता हूॅं, अपनी जिजीविषा। डूबना चाहता हूॅं, तुम्हारे रंग मे…
बाग़ में कोई कली चटके मगर तुमको न भाए - नज़्म - रोहित सैनी
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन तक़ती : 2122 2122 2122 2122 बाग़ में कोई कली चटके मगर तुमको न भाए, रंग सब बेरंग ठहरे,…
प्रेम - कविता - प्रेम ठक्कर
प्रेम नहीं सिमटता व्यक्ति में, सत्य है। प्रेम में विलीन होना निश्चित है, सत्य है। बीते कल की चिंताओं को भूलकर, उस प्रेम के समंदर में ग…
तुम साथ हो जाना - कविता - मेहा अनमोल दुबे
जब रंग अपनी छटा बिखेरें, तुम साथ हो जाना, जब नील गगन सफ़ेद रंग सजाए, तुम साथ हो जाना, अमलतास जब सफ़ेद पीले गुच्छों को धरती पर बिखेरें, …
एक दो-दिन का है ख़ुमार, बस, और - ग़ज़ल - रोहित सैनी
अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1212 22 एक दो-दिन का है ख़ुमार, बस, और, सोचा थोड़ा-सा इंतिज़ार, बस, और। भूल जाने में कौन म…
सब एक जैसी नहीं होती - कविता - संजय राजभर 'समित'
एक तरफ़ समर्पण था निष्कलंक, निष्छल असीम प्रेम था पर मेरे दिमाग़ में एक वहम थी एक बस छूटेगी तो दूसरी मिलेगी फिर कली-कली मॅंडराता हुआ बहु…
मुझे देखकर अब उसका शर्माना चला गया - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
मुझे देखकर अब उसका शर्माना चला गया, राह देखने वाला आज ज़माना चला गया। जैसे बच्चे जीते बेफ़िक्री में जीवन को, आज बुज़ुर्गों से उनका डर जान…
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