शुभा मिश्रा - जशपुर (छत्तीसगढ़)
आलिंगन - कविता - शुभा मिश्रा
बुधवार, दिसंबर 28, 2022
तुम्हारे आलिंगन में सारी पीड़ाएँ
परास्त हो जाती हैं
चिर व्याकुल, उद्वेलित आक्रोश, चुप्पी
गल कर बह जाता है।
कटु यात्राओं से संतप्त मन
विस्मृत कर देना चाहता है
उन दुखों के दस्तावेज़ों को
जो आठों पहर जलते रहते हैं।
अपने अस्तित्व की खोज में
तलुओं पर पड़े फफोले
फूटते रहते हैं आत्मा पर
प्रार्थनाएँ भी निरुपाय हो जाती हैं।
मंदिरों की सीढ़ियों पर भी भीड़ देख
प्रतीक्षा करती हूँ अपनी बारी की
शायद ईश्वर निमिष भर मुझे देख ले
बसंत भी अब व्यतीत होने को है।
तुम्हारे स्पर्श की सशक्त भाषा
औषधि बन उतर जाती है भीतर
असाध्य रोग मुक्त हो, कंचन सी आत्मा का
मुक्ति द्वार खुल जाता है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर