संदेश
रेत में दुख की - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
आओ फिर से उठे, बेहतर में मिल जाएँ। रेत में दुख की, कुसुम सम खिल जाएँ। गहरे हैं सन्नाटे, गहरी है विषाद की रेखा। दूजों की बात करें क्यों…
अश्रुमय जीवन - कविता - प्रवीन 'पथिक'
आज कल मन बहुत उदास है! शायद! कुछ भी नहीं मेरे पास है। दर्द रुलाता है, ऑंखें भर आती हैं, उदासी फिर भी नहीं जाती है। सपनें नहीं टूटे, टू…
दुःख हमें भी हुआ था - कविता - प्रवीन 'पथिक'
दु:ख हमें भी हुआ था; जब हमारी साँसें रुकी थी। दर्द तुम्हें भी होगा; जब तुम्हारा व्यापार बंद होगा। भावनाओं का खेल पूर्ण विराम लेगा। विच…
एक पल - कविता - सुशील शर्मा
टूट गया छूट गया स्वप्न एक रूठ गया। एक पल था रुका नहीं एक आँसू लुढ़क पड़ा। लगा कि वो अब मिला फिर कहीं छिटक गया खिसक गया सरक गया। फिर मिले…
हमदर्द बन के कोई, हमें दर्द दे गया - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
अरकान: मफ़ऊल फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन तक़ती: 221 2121 1221 212 हमदर्द बन के कोई, हमें दर्द दे गया, खुख चैन छीन, आह हमें सर्द दे गया…
आर्तनाद - कविता - प्रवीन 'पथिक'
जब भी अतीत को देखता हूँ! एक भयानक यथार्थ; खड़ा हो जाता मेरे समक्ष। बड़ी भुजाऍं, बड़ी-बड़ी ऑंखें, और लपलपाती रक्तिम जिह्वा लिए; घूरा क…
मेरा दुःख मेरा दीपक है - कविता - गोलेन्द्र पटेल
जब मैं अपने माँ के गर्भ में था वह ढोती रही ईंट जब मेरा जन्म हुआ वह ढोती रही ईंट जब मैं दुधमुँहा शिशु था वह अपनी पीठ पर मुझे और सर पर …
प्रेमिका - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
जन्मों का वादा था, राह में ही वो छोड़ गई। था नाज़ुक सा हृदय मेरा, जिसको वो तोड़ गई। प्राण बसे है तुझमें मेरे, ऐसी बातें करती थी। हर …
गहरी उदासी - कविता - प्रवीन 'पथिक'
तूफ़ान के थपेड़ों के बीच, फँसी मेरी ज़िंदगी! चाहती है आज़ादी; ताकि विचर सके स्वच्छंद आकाश में। बादलों के पीछे, जहाॅं कोई देख न सके। वाग…
दुःख एक सोच - कविता - युगलकिशोर तिवारी
मैं दुःख हूँ पीड़ा, चिन्ता, कष्ट न जाने मेरे कितने रूप हूँ, कभी मन से, कभी तन से, कभी धन से स्वरूप हूँ। ये तुम्हारी सोच है कि मैं कुरु…
मारा ग़म ने - गीत - गोकुल कोठारी
नहीं तुमने, नहीं हमने, मारा अगर तो, मारा ग़म ने। नैनों से कहो, ज़्यादा न बहो, समझे हैं हम, कहो न कहो। गिनते थे दुनिया के हम तो लाख सितम,…
दुख की सीमा घनीभूत है - कविता - संजीव चंदेल
दुख की सीमा घनीभूत है, चारों ओर कंद्रन रोदन है। ग़म की काली रात है देखो, ये कैसा उत्पीड़न है। मन कितना उद्वेलित है, हर के जीवन में चिंत…
सूखा पत्ता हूँ उपवन का - कविता - डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
इंतज़ार मैं करता रहता, सुबह, दोपहर और शाम। अब नही कोई चिट्ठी आती और ना आता पैग़ाम।। कोई याद ना करता मुझको, और ना कोई फ़ोन करे। सूखा पत्त…
दुःख - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
दुःख तेरा एहसान है कि सुख का एहसास करा देता है, व्यथा ही एक ऐसी विधा है, जो ईश्वर को याद दिला देता है। अगर विपत्ति न हो तो अपनों की प…
दुख ही सच्चा मित्र है - गीत - स्नेहलता "स्नेह"
पैर छलनी रोता अंतस हँसता छाया चित्र है, वेदना क़िस्मत श्रमिक की दुख ही सच्चा मित्र है। ख़ूब मेहनत से कमाते रोटियाँ दो जून की, भू बिछौना,…
हालात - कविता - नृपेंद्र शर्मा "सागर"
गुम हूँ मगर मैं खोया नहीं हूँ, कई रातों से मैं सोया नहीं हूँ। सूखे नहीं आँसू मेरी आँखों के, मर्द हूँ इसलिए मैं रोया नहीं हूँ।। आज बदले…
सदा सुखी रहो बेटा - लघुकथा - सुषमा दीक्षित शुक्ला
रिटायर्ड इनकम टैक्स ऑफिसर कृष्ण नारायण पांडे आज अपनी आलीशान कोठी में बहुत मायूसी महसूस कर रहे थे, क्योंकि उनकी दो हफ़्ते से बीमार पत्नी…
सहम गईं फ़ज़ाएँ - कविता - सरिता श्रीवास्तव "श्री"
यह कविता एक हादसे पर आधारित है जो कि जिला धौलपुर (राजस्थान) मनिया थाना के गाँव अधन्नपुर के निवासी पिता-पुत्र के साथ 20 अप्रैल 2021 को …
दुःख ही तो है - कविता - प्रवीन "पथिक"
दु:ख! कर्तव्य पथ का बोध कराता है। दु:ख! अपनों के प्रेम की परीक्षा लेता है। दु:ख! दूसरों के दुःखों की अनुभूति कराता है। दु:ख! कभी अपनों…
पश्चाताप - कविता - अवनीत कौर "दीपाली सोढ़ी"
पश्चाताप के बेहिसाब आँसू न मिटा सकें दोष मेरे मन का भरा पड़ा हैं, गुबार दिल में हिला दिया आस्तित्व मेरे मनोबल का हताश सा हूँ, बेइंतहा …
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