गहरी उदासी - कविता - प्रवीन 'पथिक'
शनिवार, मई 06, 2023
तूफ़ान के थपेड़ों के बीच,
फँसी मेरी ज़िंदगी!
चाहती है आज़ादी;
ताकि विचर सके स्वच्छंद आकाश में।
बादलों के पीछे,
जहाॅं कोई देख न सके।
वाग्जालों का धुँध,
फैलता है चारो तरफ़
जिसमे उसके भविष्य की आकृति
धुँधली नज़र आती है।
हवाओं का शर,
कानों से गुज़रता
छलनी कर देता
हृदय के सीने को।
विचारों का सैलाब,
सागर के गहरी उदासी में,
डूब जाता।
जीवन की अपूर्णता,
हज़ारों प्रश्नों के मध्य,
घेर लेती मुझे।
माँगती अपना अधिकार,
जिसे कभी चुका नहीं पाया।
और तब;
तेरा अश्रुपूरित चेहरा,
अपने पूर्ण अस्तित्व के साथ
सामने आता है, जो
मेरा साहस और धैर्य,
चकनाचूर कर
बिखेर देता प्रारब्ध के पन्नों पर।
जिसकी कसक,
भयानक अंधड़ के रूप में;
समा जाती मेरी ऑंखो में।
और ला खड़ा करती मुझे
जीवन की उस अंतिम बिंदु पर,
जहाॅं,
रंगमंच पर
आख़िरी बार पर्दा गिरता है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर