नागेंद्र नाथ गुप्ता - ठाणे, मुंबई (महाराष्ट्र)
हमदर्द बन के कोई, हमें दर्द दे गया - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
सोमवार, सितंबर 11, 2023
अरकान: मफ़ऊल फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
तक़ती: 221 2121 1221 212
हमदर्द बन के कोई, हमें दर्द दे गया,
खुख चैन छीन, आह हमें सर्द दे गया।
खोया सुकून यार, मुलाक़ात जब हुई,
मुश्किल बढ़ी, तमाम वो दुख दर्द दे गया।
दे कर गया भरोसा, न आया वो लौट के,
बदला मिज़ाज, रंग हमें ज़र्द दे गया।
बेज़ार इंतज़ार हुआ ग़मज़दा था दिल,
दिल का गुबार और नई गर्द दे गया।
सपने जगा गया वो, मुहब्बत हुई ज़रा,
उम्दा इलाज छोड़िए, सिरदर्द दे गया।
शहतीर एक प्यार की उतरी हमारे दिल,
तकलीफ़ बेरहम, हमें बेदर्द दे गया।
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