संदेश
इच्छा शक्ति - कविता - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
इच्छा शक्ति हो अगर प्रबल, तो ईश्वर बनाता उसे सफल। कुछ कभी जगाइए सदिच्छा, ज़रूर पूरी करेगा वही इच्छा। संकल्प जो हम करेंगे मन में, वो साथ…
ज्ञान की खोज - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
ज्ञान की खोज में हम मृगतृष्णा की तलाश जैसे भटकते रहते हैं, अपने अंदर झाँकना तो नहीं चाहते हैं, ज्ञान को लेना ही नहीं चाहते। बस अपनी बे…
ख़ुशी का राज़ - लघुकथा - प्रवेंद्र पण्डित
रमन मायूस मन लिए पैदल ही कारखाने से घर की तरफ़ निकल पड़ा। मन में विचारों का मंथन चल रहा था। आख़िर पाँच हज़ार तनख़्वाह में कैसे घर चलेगा,…
करो आत्म तन का मंथन - कविता - राघवेंद्र सिंह
जीवन रूपी क्षीर सिन्धु में, करो आत्म तन का मंथन। रत्न चतुर्दश ही निकलेंगे, स्वयं करो इसका ग्रंथन। निज श्रम मंदराचल मथनी हो, वासुकी नाग…
क़र्ज़ - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
क़र्ज़ न करियो, क़र्ज़ घटाता है कुटुंब और ख़ुद का मान। उधारी दिन का चैन, रात की नींद खोकर निरुत्तर रहता है इंसान। क़र्ज़ ही तो है जो अच्छे-खा…
जो देता है वो दाता है - कविता - गणेश भारद्वाज
मन के बाहर भीड़ बड़ी है, सन्नाटा अंदर पसरा है। मन भीतर का दीप बुझाकर, क्यों मानव चुनता कचरा है? दर-दर जाकर जिसको खोजे, मन भीतर आन समाय…
ढूँढ़ लो ख़ुद को - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
ढूँढ़ लो ख़ुद को ख़ुद में जो छुपा हुआ है भेद, तन है माटी का पुतला मन का मन का है फेर, जिस दिन तुमने जाना फिर हो जाएगा प्रेम, सुनो कवि क…
हार जीत - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
हार हो या जीत ये है हमारी प्रीत, जैसा करें विचार वैसे ही व्यवहार। हार सिर्फ़ हार नहीं है अपना विचार भी है, जीत कोई अनूठी चीज़ नहीं महज़ आ…
बुद्ध सा - कविता - श्रीलाल जे॰ एच॰ आलोरिया
मिट जाएँ सब राग द्वेष और विकार विरत हो जाऊँ, तब, सच मानो मैं बुद्ध सा हो जाऊँ। ना रखूँ नफ़रत किसी से ना वैर किसी से कर पाउँ, पंचशील …
ग़ुरूर - कविता - प्रतिभा नायक
किस बात पर ग़ुरूर करेगा ये सूरज, नदी, तालाबों को सुखाने वाला, मज़दूर के पसीने को सुखा न पाया, किसी के आँसुओं को पोंछ न पाया। चाँद को फ़…
जन्म सफल हो जाएगा - कविता - अंकुर सिंह
मिला मानव जीवन सबको, नेक कर्म में सभी लगाएँ। त्याग मोह माया, द्वेष भाव, प्रभु भक्ति में रम जाएँ।। मंदिर मस्जिद या गुरुद्वारा, निज धर्म…
ज्ञान की ज्योत - कविता - आदेश आर्य 'बसंत'
विजित हो रहा हूँ मैं ख़ुद, उस कायरता से जो अंदर थी। बाहर तो बस चंचलता थी, अंदर विचारों की आँधी थी। दिखलाना था ख़ुद का चेहरा ख़ुद को, दर्प…
ख़ुद को ही सर्वश्रेष्ठ न समझें - आलेख - सुधीर श्रीवास्तव
श्रेष्ठ या सर्वश्रेष्ठ होना हमारे आपके जबरन ख़ुद को घोषित करने की ज़िद कर लेने भर से नहीं हो जाता। परंतु ख़ुद को श्रेष्ठ अथवा सर्वश्रेष्ठ…
गीता का ज्ञान - कविता - डॉ॰ गीता नारायण
कृष्ण ने कहा अर्जुन से; सुनो गुड़ाकेश! मैं ऋषिकेश... तुम्हें देता हूँ वह ज्ञान विशेष... जिसे तुम्हारे अलावा आज कोई नहीं सुन पाएगा, जिस…
सबक़ - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
समय तेज़ी से निकल रहा है सबक़ सीखने की सीख दे रहा है, मगर हम मुग़ालते में जीते हैं, समय का उपहास उड़ाते रहते हैं। अब भी समय है सचेत हो जाए…
आभासी जगत - दोहा छंद - महेन्द्र सिंह राज
अध्यातम की सीढ़ियाँ, चढ़ना नहिं आसान। हानि लाभ से दूर है, दूर मान सम्मान।। यश अपयश को भूलकर, जपता भगवन नाम। प्रीति रखे भगवान से, जाता…
मौन के लाभ हानि - लेख - सुधीर श्रीवास्तव
मौन की प्रवृत्ति आदि काल से चली आ रही है। प्रश्न मौन होने का नहीं समय, काल, परिस्थितियों के अनुरूप मौन के प्रतिउत्तर का है। सबको पता ह…
सीखें सिखाएँ - आलेख - सुधीर श्रीवास्तव
ये हमारा सौभाग्य और ईश्वर की अनुकंपा ही है कि हमें मानव जीवन मिला, तो ऐसे में हम सभी की ये ज़िम्मेदारी है कि हम इस चार दिन के लिए नश्वर…
एक पल - आलेख - सुधीर श्रीवास्तव
समय का महत्व हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकता है। इसी समय का सबसे छोटा हिस्सा है "पल"। कहने सुनने और करने अथवा महत्व देने में …
सहनशीलता के संग ज़मीर का जंग - आलेख - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
सहनशीलता के संग ज़मीर का जंग सदैव ही मानवजाति के पुरुषार्थ, संयम, धैर्य, साहस, आत्मबल और आत्मविश्वास की परीक्षा मानी जाती रही है। जीवन …