ढूँढ़ लो ख़ुद को ख़ुद में
जो छुपा हुआ है भेद,
तन है माटी का पुतला
मन का मन का है फेर,
जिस दिन तुमने जाना
फिर हो जाएगा प्रेम,
सुनो कवि कुमार कहे
फिर बनेगी एक तस्वीर,
तन-मन का जोगी हो गया
है जान लिया जब भेद।
कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी - सहआदतगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)