हार जीत - कविता - सुधीर श्रीवास्तव

हार हो या जीत
ये है हमारी प्रीत,
जैसा करें विचार
वैसे ही व्यवहार।
हार सिर्फ़ हार नहीं है
अपना विचार भी है,
जीत कोई अनूठी चीज़ नहीं
महज़ आत्मविश्वास है।
हम जैसा चाहते हैं
वैसा ही पाते हैं।
हार का डर हो तो
कभी जीत नहीं पाते,
जीत का विश्वास हो तो
जीत ही जीत जाते।
हार हो या जीत
हमारे आसपास ही रहते
जिसे चाहें वरण करें
जिसे चाहें ठुकराएँ। 

सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)

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