संदेश
दिनकर-स्मृति - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' पर दोहे
सिंहनाद भारत विजय, दिनकर सम आलोक। रग-रग धारी-शौर्य बल, राम नाम हर शोक॥ अलख जगाता क्रान्ति का, रश्मिरथी निर्बाध। अमर प्रेम पुरु उर्व…
श्री गणेश चतुर्थी - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
चरण कमल श्रद्धा नमन, करूँ गजानन आज। उमातनय परमेश भज, स्वस्ति लोक गणराज॥ रक्तांबर पूजन करूँ, लम्बोदर विघ्नेश। गजमुख वरदायक नमन, जय ग…
हिंदी भाषा - कुण्डलिया छंद - सुशील शर्मा
1 लहराती द्युति दामनी, घोल मधुरमय बोल। हिंदी अविचल पावनी, भाषा है अनमोल॥ भाषा है अनमोल, कोटि जन पूजित हिंदी। फगुवा रंग बहार, गगन मे…
रक्षा बंधन - कुण्डलिया छंद - सुशील शर्मा
1 चन्दन जैसा महकता, भ्रात बहिन का प्यार। कच्चे धागे से बँधा, रिश्ता ये सुकुमार॥ रिश्ता ये सुकुमार, बहिन है दिल का टुकड़ा। उर में हो …
चन्द्रयान है चाँद पर - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
चन्द्रयान है चाँद पर, इसरो स्वप्न महान। धन्यवाद वैज्ञानिकों, भारतीय विज्ञान॥ आरोहण साफल्यता, अविरत शोध प्रयास। चन्द्रयान अब सोम पर,…
माँ - दोहा छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
माँ को पूजिय रे मना धरि चरनन में शीश। सफल होय जीवन मनुज देहिं ईश आसीस॥ माता की रज माथ धरि बड़े बनत हैं लोग। आशिष ऐसो कवच है भागैं दुःख…
पन्द्रह अगस्त - त्रिभंगी छंद - संजय राजभर 'समित'
आ जोड़ ले हस्त, पन्द्रह अगस्त, शुभ दिन अपना, आया है। स्वतंत्रता का दिन, शहीद अनगिन, तब जाकर यह, पाया है। ऑंखें भर आती, याद दिलाती,…
राम - सवैया छंद - सुशील कुमार
राम के नाम सा नाम नहीं जग संत कहें श्रुति चारि बखानी, राम कथानक राम स्वयं बिन राम नहीं कहीं राम कहानी। राम बिना नहिं राम कहीं बस राम…
याचना - ताटंक छंद - संजय राजभर 'समित'
जीवन क्या है यही समझने, गंगा जल भर लाया हूँ। महादेव! मैं याचक बनकर, तेरे दर पे आया हूँ। बने न बंजर धरती सारी, विष का प्याला पी डा…
सावन में शिव अर्चना - कुण्डलिया छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
सावन में शिव अर्चना सोम दिवस अति नेम। अवढर दानी चाहते शुद्ध सरल शुचि प्रेम॥ शुद्ध सरल शुचि प्रेम दूध घी चन्दन वारो। जप लो नमः शिवाय…
बरसा ऋतु मन भावन - मनहरण घनाक्षरी छंद - राहुल राज
बरसा की ऋतु मन भावन सुभावन है, तन मन डाले संग उठत उमंग हैं। हरियाली ख़ुशहाली लाई ऋतु मतवाली, ताली बजा बजा नाचे सब एक संग हैं। ख़ुश ह…
शिव ही सत्य है - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
दुनियाँ शिव ही सत्य है, महिमा अपरंपार। अन्तर्मन विश्वास से, हों प्रसन्न ओंकार॥ सदा अजन्मा चिरन्तन, बाघम्बर वागीश। भक्ति प्रेममय शिव…
रिमझिम सावन आया है - ताटंक छंद - संजय राजभर 'समित'
विरह वेदना की ज्वाला में, तन-मन ख़ूब तपाया है। आओ मेरे प्रियतम प्यारे, रिमझिम सावन आया है। प्यासी घटा की मर्म समझो, गीत ख़ुशी के गाएँगे।…
आ भी जाओ श्याम - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
तुम बिन रहा न जाए अब, आ भी जाओ श्याम। तरस रही मुरली श्रवण, मैं राधे प्रिय वाम॥ तुम साजन माधव मदन, मैं राधे रति श्याम। केशव की कुसुम…
श्री जगन्नाथ जी महिमा - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रथयात्रा पावन नमन, जगन्नाथ श्रीधाम। नैन युगल कंजल कमल, दर्शन कोटि प्रणाम॥ बहन सुभद्रा चारुतम, संग दाऊ बलराम। तिहूँ सुशोभित पृथक् रथ…
क़हर ढा रहा आसमाँ - कुण्डलिया छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
क़हर ढा रहा आसमाँ, बरस रही है आग। सर पे गमछा बाँध ले, जाग मुसाफ़िर जाग॥ जाग मुसाफ़िर जाग, बदन गर्मी से उबले। राति मसन की फ़ौज, सुनावै क…
भक्त और भगवान् - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अनुपम मधुरिम अरुणिमा, शुभ प्रभात उत्थान। पूजन वन्दन शुद्ध मन, भक्त और भगवान्॥ खिले कुसुम सरसिज सरसि, कुसुमाकर वरदान। भक्ति भक्त चित…
प्रथम वैवाहिक वर्षगाँठ - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
कवि डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' के परम सौभाग्यवती बेटू अनीशा कीर्ति आ परम सारस्वत जामाता श्री विवेक पाराशर बाबू (ओझा जी) के प्रथ…
पति-पत्नी का प्यार - कुण्डलिया छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
दिन कटता कशमकश में, रात रार ही रार। किन गलियों में खो गया, पति-पत्नी का प्यार॥ पति-पत्नी का प्यार, दिख रहा अंजानों सा। पीठ खाट पर जोड़,…
मिहनत की किलकारियाॅं - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
उषाकाल खिलती किरण, ख़ुशियाँ ले भू धाम। मिहनत की किलकारियाॅं, प्रकृति हॅंसी अभिराम॥ फैली चहुँ दिस लालिमा, नव प्रभात अरुणाभ। उद्योगी म…
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर