1
चन्दन जैसा महकता, भ्रात बहिन का प्यार।
कच्चे धागे से बँधा, रिश्ता ये सुकुमार॥
रिश्ता ये सुकुमार, बहिन है दिल का टुकड़ा।
उर में हो आनंद, देख कर उसका मुखड़ा॥
पर्व बड़ा अनमोल, बहिन का है अभिनंदन।
बाँधी रेशम डोर, लगा माथे पर चंदन॥
2
रक्षाबंधन पर्व पर, सीमा पर हैं वीर।
बहिना से वो न मिले, मन में रखते धीर॥
मन में रखते धीर, देश की सेवा करते।
राखी का यह क़र्ज़, जान देकर वो भरते॥
बहिन खड़ी है द्वार, लिए राखी अति पावन।
कब आएँगे वीर, मनाने रक्षाबंधन॥
3
जीवन महका सा लगे, जब बहिना हो पास।
रेशम धागे से बँधे, रीति, नेह, विश्वास॥
रीति नेह विश्वास, कष्ट उसके हर लेना।
बहिन मिले सौभाग्य, उसे हर सुख तुम देना॥
माँ का है प्रतिबिम्ब, पिता की मूरत पावन।
बहिन हमारी आन, निछावर उस पर जीवन॥
सुशील शर्मा - नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)