बरसा ऋतु मन भावन - मनहरण घनाक्षरी छंद - राहुल राज

बरसा की ऋतु मन भावन सुभावन है, 
तन मन डाले संग उठत उमंग हैं। 
हरियाली ख़ुशहाली लाई ऋतु मतवाली, 
ताली बजा बजा नाचे सब एक संग हैं। 
ख़ुश हुए है किसान तान सीना खलियान, 
अन्न को उगाने वाले अब नहीं तंग हैं। 
जंगल में मंगल करत सब जीव जंतु, 
फैल चहुँओर जैसे ख़ुशियों के रंग हैं। 

राहुल राज - गोटेगांव, नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)

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