कवि डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' के परम सौभाग्यवती बेटू अनीशा कीर्ति आ परम सारस्वत जामाता श्री विवेक पाराशर बाबू (ओझा जी) के प्रथम वैवाहिक परिणय स्मृति दिवस पावन मधुरिम अवसर पर दोहे
सदा रहो दम्पति मुदित, कीर्ति सुखद आनंद।
सद्विवेक पुरुषार्थ सुख, खिले सुयश मकरंद॥
नव वसन्त मधु माधवी, रचना विधि अनमोल।
बनो प्रिया सहधर्मिणी, प्रिय विवेक चित घोल॥
मेधा विद्या यामिनी, स्वाभिमान सम्मान।
परकीया तनया पिता, बनो कीर्ति वरदान॥
बसी कीर्ति चितचंचरी, ममतांचल निशिकांत।
तुम जीवन संजीवनी, मिटे तात मन क्लान्त॥
रहो सुहागन सुन्दरी, प्रियतम चित्त चकोर।
ललना लालित निशिसुता, हो अरुणिम नित भोर॥
प्रिय विवेक सुकीर्ति पथ, गढ़ो नवल परिवार।
रीति नीति पथ धर्मिणी, सदाचार आधार॥
शील त्याग गुण कर्म पथ, संयम कीर्ति विवेक।
अपनापन दाम्पत्य सुख, नव भविष्य अभिषेक॥
अन्तर्मन करुणा दया, पौरुष हो परमार्थ।
हृदय प्रेम सम्वेदना, जीवन हो धर्मार्थ॥
मधुरिम भाष सुहास हो, सत्य पूत कर्त्तव्य।
विवेक विरत कीर्ति कहाँ, जीवन हो ध्यातव्य॥
सप्तबन्ध परिणय युगल, धर्म सनातन रीति।
कठिन गृहस्थी निर्वहण, हो यक़ीन जब प्रीति॥
ख़ुशियाँ महकें ज़िंदगी, खिले अधर मुस्कान।
प्रेम सरित आशीष से, विवेक कीर्ति सुहान॥
महके ख़ुशबू कीर्ति चहुँ, हो विवेक पथ यान।
खिले ज़िंदगी नव किरण, सुख वैभव यश मान॥
डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' - नई दिल्ली
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कवि डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' की बेटी अनीशा कीर्ति और दामाद श्री विवेक पाराशर बाबू (ओझा जी) |