संदेश
समुचित अनुचित चिन्तना - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
हो ईमान पुरुषार्थ में, संयम बुद्धि विवेक। सुख वैभव ख़ुशियाँ सुयश, उचित वक्त अभिषेक॥ शिक्षित हो सबजन वतन, सबका हो उत्थान। हो प्रबंध शिक्…
वन्दनीय भारत - रूप घनाक्षरी छंद - पवन कुमार मीना 'मारुत'
(1) वन्दना वर वतन विधाता की करते हैं, विश्व विख्यात बुद्ध भारत-भूमि का था लाल। मध्यम मार्ग महानायक ने निकाला न्यारा, पाया पूर्ण वरदान …
विवाह - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | विवाह पर दोहे
नर-नारी कारण जगत, जीवन का आधार। शुभ विवाह बन्धन प्रणय, सप्त बन्ध परिवार॥ रिश्ते नाते सब यहाँ, बस विवाह सम्बन्ध। धर्म सनातन आस्था, कु…
व्यर्थ बहता जीवन - मनहरण कवित्त छंद - पवन कुमार मीना 'मारुत'
पदार्थ प्यारा प्राणों से समझो सुहृद सब, मृग-मरीचिका मरुस्थल माय कहा है। इतराता इंसान परवाह प्राण की नहीं, रंगहीन रूहानी जन जीवन कहा है…
श्रीराम वनगमन - मनहरण घनाक्षरी छंद - सत्यम् दुबे 'शार्दूल'
राम जी को देख कर भूल बैठे सब काम, अपलक सोच रहे आता कौन धीर है; आता कौन धीर वीर श्याम वर्ण है शरीर; हाथ में धनुष लिए पीछे को तुणीर है, …
हिंसा: एक जघन्य अपराध - मदिरा सवैया छंद - पवन कुमार मीना 'मारुत'
आदिम मानव जंगल में रहता, कम थी मति मानुष में। चर्म चबाकर भूख मिटाकर, नग्न व धावत था वन में। बेबस था मजबूर परन्तु, अभी प्रज्ञ पण्डित है…
हर हर महादेव शम्भु - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
धर्म सनातन पर्व शुभ, सावन पावस मास। त्रयोदशी पूजन सविधि, उभय पक्ष उपवास॥ प्रदोष व्रत शिव वन्दना, फागुन सावन मास। कृपासिंधु शिव साधना, …
सावन की बरसात - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
ग्रीष्मातप सूखी धरा, छाया नभ घनश्याम। सावन की बरसात अब, बरस रही अविराम॥ रिमझिम मधुरिम बारिशें, भरे खेत खलिहान। प्रीत हृदय सावन मिलन, ख़…
तन्हाई - देव घनाक्षरी छंद - पवन कुमार मीना 'मारुत'
उमड़कर उदासी उन्मुनी उलझन-सी, उदास उधर उसे इधर इसको करत। वह वहाँ तड़पती तुम तमा तरसते, उदासी उनकी दिल दहलाती मन मरत। बनी बेडी़ बेरहम प्र…
आत्मबोध - गीत (लावणी छंद) - संजय राजभर 'समित'
कोई कठिन जादू नहीं तू, न ही सरल छू मंतर है। इधर-उधर न खोज रे! ख़ुद को, तू अपने ही अंदर है। तू ही चैतन्य, तू ही सत्य, तू शाश्वत ज्योति प…
रिश्तों का दौर - घनाक्षरी छंद - महेश कुमार हरियाणवी
आया है ये वक्त कैसा रक्त नहीं रक्त जैसा। बेटा आज बाप को ही अर्थ समझाता है। चपर-चपर बोले सुनता ना हौले-हौले। जननी के सामने ना सर को झुक…
दर्दनाक विमान हादसा - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | अहमदाबाद विमान हादसे पर दोहे
दर्दनाक थी हादसा, मौत बड़ा विकराल। एयर इंडिया का पतन, हालत था बदहाल॥ निर्दोषों की मौत से, फैला हाहाकार। ढाई सौ से भी अधिक, हुई मौत चित…
पैसा बोलता है - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | पैसे पर दोहे
पैसा बोलता दुनियाँ, पैसा ही नवरंग। रिश्ते नाते मान यश, बिन पैसे बदरंग॥ पैसे ही ऊँचाइयाँ, पैसे ही सम्मान। पैसों के महफ़िल सजे, पैसा ही भ…
मेरा वतन - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | पहलगाम हमले पर दोहे
पुकारता मेरा वतन, जागो भारत वीर। पहलगाम अरिघात का, बदला लो रणधीर॥ मिटा पाक नक्शा धरा, नाश करो आतंक। महाकाल बन घात कर, बने शत्रु फिर रं…
रूप की रवानी - घनाक्षरी छंद - सुशील कुमार
काले कजरारे नैना गाल है गुलाबी और, दामिनी से दाँत चमकाय रही गोरी है। अंग-अंग कुसुमित फूले फुलवारी ज्यो, ख़ुशबू से मन को लुभाय रही गोरी …
नशा मुक्ति - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
लगी लतें द्रग नशा की, नौनिहाल इस देश। तम्बाकू गाजा चरस, नशाबाज़ परिवेश॥ गज़ब नशा वातावरण, यौवन वय मदपान। अल्कोहल मदिरा नशा, रत जीवन अव…
बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर - दोहा छंद - सुशील शर्मा
महू में जन्में आप थे, जीवन था संघर्ष। छूआछूत की पीर से, मन में भरा अमर्ष॥ शिक्षा के हथियार से, पाया उच्च मुकाम। ज्ञान-साधना से रचा, स्…
माँ की महर - देव घनाक्षरी छंद - पवन कुमार मीना 'मारुत'
माता ममतामयी मूरत मनोहर मान, मन-मन्दिर महान मध्य में महर-महर। मानवता मधुरता महानता महीश्वरी, माता मन मत दुखाओ दिल दहर-दहर। माता प्रेम …
होली - कुण्डलिया छंद - सुशील शर्मा
1 फागुन लिखे कपोल पर, प्रेम फगुनिया गीत। दहके फूल पलाश के ,कहाँ गए मन मीत॥ कहाँ गए मन मीत, फगुनिया हवा सुरीली। भौरों की गुंजार, हँसे म…
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