हिंदी भाषा - कुण्डलिया छंद - सुशील शर्मा

हिंदी भाषा - कुण्डलिया छंद - सुशील शर्मा | Kundaliya Chhand - Hindi - Sushil Sharma | हिंदी भाषा पर कुण्डलिया छंद
1
लहराती द्युति दामनी, घोल मधुरमय बोल। 
हिंदी अविचल पावनी, भाषा है अनमोल॥ 

भाषा है अनमोल, कोटि जन पूजित हिंदी। 
फगुवा रंग बहार, गगन में चाँद सी बिन्दी॥ 

कह सुशील कविराय, प्रेम रंग रस बरसाती।
कोकिल अनहद नाद, तरंगित मन लहराती॥ 

2
हिंदी भाषा दिव्य है, स्वर्ग सरिस संगीत। 
हिंदी ने ही रचे हैं, दिव्य काल गत गीत॥ 

दिव्य काल गत गीत, रची तुलसी की मानस। 
संस्कृत का आधार, लिए हिंदी का मधुरस॥ 

कह सुशील कविराय, मातु के माथे बिंदी।
नेह नयन अनुराग, समेटे सबको हिंदी॥ 

3
हिंदी ही व्यक्तित्व है, हिन्दी ही अभिमान। 
हिंदी जीवन डोर है, हिन्दी धन्य महान॥ 

हिंदी धन्य महान, राष्ट्र की गौरव भाषा। 
चेतन चित्त विभोर, हृदय की चिर अभिलाषा॥ 

आदि अनादि अमोघ, मध्य जिमि नारी बिंदी। 
सुंदर सुगम सरोज, हमारी प्यारी हिंदी॥ 

सुशील शर्मा - नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)

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