संदेश
अनुभूति - गीत - डॉ॰ सुमन 'सुरभि'
तू सुखद अनुभूति सा मेरे हृदय में आ समाया। भर गई आनंद से, आ कंठ से ऐसे लगाया। मैं ना जानू प्रीति की क्या रीति होती साँवरे! बस तुम्हें…
संविधान दे के गया कोई - कविता - सुनील खेड़ीवाल
ये ज़ीस्त-ए-अंदाज़-ओ-गुफ़्तगू, ये जीने का असरार-ओ-सलीक़ा देके गया कोई। अहसान कैसे चुकाऊँ मैं उस शख़्सियत का, बदतर ज़िंदगी से उबारने को संविध…
मैं तुम्हारा पिता - कविता - अनिल कुमार
क्या तुम मुझे पहचानते हो? मैं तुम्हारा पिता तुम मेरे अंश हो। तुमने स्पर्श पहचाना मेरा तुम! मुझे अपना मानते हो? अभी तुम नन्हें पुष्प ह…
बदरिया - कविता - धीरेन्द्र पांचाल
चान छुपउले जाली कहवाँ, घुँघटा तनिक उठाव। बदरिया हमरो केने आव, बदरिया हमरो केने आव। झुलस रहल धरती के काया छाया ना भगवान लगे। तोहरे बिना…
आप के साथ - कविता - डॉ॰ सहाना प्रसाद
आप के साथ ज़िंदगी हर लम्हा उत्सव। सुबह दिल ख़ुश रात को शान्त। बातें करती हूँ या चुप रहती हूँ, लगता है दिल की बात बिन कहे समझ ली आपने। एक…
शुभकामनाएँ - कविता - प्रवल राणा 'प्रवल'
शुभकामनाएँ मन से, ख़ुशियाँ अपार आएँ। सानिध्य आपका, सद्व्यवहार सभी पाएँ।। मन की वीणा में, संगीत था पहले। सुख समृद्धि हो, चहुँओर कीर्ति फ…
मेरा लिखा पढ़ेगा कौन? - कविता - सौरभ तिवारी
मैं मन का कोलाहल लिख दूँ या लिखूँ गूँजता अन्तर मौन लिखने को हर आह भी लिख दूँ मेरा लिखा पढ़ेगा कौन? रोम-रोम की लिखूँ वेदना संवेदी शीतल …
ऐसा गीत लिखूँ - कविता - अजय कुमार 'अजेय'
संवेदना मन गागर भावना मन सागर शब्दों की सुंदरता से मैं मन की प्रीत लिखूँ। कुछ ऐसा गीत लिखूँ।। सावन के आने पर बदरी छा जाने पर बागों में…
गाऊँ सियाराम भजन - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
आज जन्मदिवस रघुनायक रघुवर, चैत्र शुक्ल नवमी तिथि नमन करूँ। सच्चिदानंद मनोहर अवतार हरि, कौसल्या दशरथ नंदन चित्त धरूँ। रामावतार गीत गाऊँ…
राम तेरी लीला न्यारी - गीत - रमाकांत सोनी
तिर जाते पत्थर पानी में, नाम की महिमा भारी है, राम तेरी लीला न्यारी है, राम तेरी लीला न्यारी है। ताड़क वन ताड़का मारी, मर्यादा पुरुष अ…
राम नाम मधुशाला हो - कविता - अंकुर सिंह
माफ़ी माँगों तुम भूलों की, छोड़ तन सभी को जाना हैं। साँसे अपनी पूरी करके, पंचतत्व में मिल जाना है।। दुनिया का बुद्धिमान प्राणी, मानव ह…
किस पर है दुख भारी दुनिया - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन तक़ती : 22 22 22 22 किस पर है दुख भारी दुनिया, क्या सच है बतला री दुनिया। दुख है तो कारण भी होगा, ठी…
कविताएँ सब कुछ कहती हैं - कविता - सतीश शर्मा 'सृजन'
अनुराग बिखेरे फिरती हैं, कविताएँ सब कुछ कहती हैं। निर्झर बन करके बहती हैं, कविताएँ सब कुछ कहती हैं। प्रिय ग्रन्थों के अध्यायों में, बन…
क़र्ज़ - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
क़र्ज़ न करियो, क़र्ज़ घटाता है कुटुंब और ख़ुद का मान। उधारी दिन का चैन, रात की नींद खोकर निरुत्तर रहता है इंसान। क़र्ज़ ही तो है जो अच्छे-खा…
चुप रहो - कविता - अमरेश सिंह भदौरिया
यदि सच कहना चाहते हो तो आईने की तरह कहो, वरना चुप रहो। परंपरा परिपाटी का सच, हल्दी वाली घाटी का सच, कुरुक्षेत्र की माटी का सच, या... स…
प्यास वाले दिन - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
लगे सताने झोपड़ियों को भूख औ प्यास वाले दिन। धूप है दिवस को कचोटने लगी। जब-तब लू हवा को टोंकने लगी।। जीवन में जबकि देखे हैं कड़वे अहसा…
दिल को गंगा जली बना दो - सरसी छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
दिल को गंगा जली बना दो, तन वृंदावन धाम। घट-घट में अब बसा हुआ है, राधे-राधे नाम।। बिलख रही है सभी गोपियाँ, व्याकुलता का दौर। आस मिलन की…
जो देता है वो दाता है - कविता - गणेश भारद्वाज
मन के बाहर भीड़ बड़ी है, सन्नाटा अंदर पसरा है। मन भीतर का दीप बुझाकर, क्यों मानव चुनता कचरा है? दर-दर जाकर जिसको खोजे, मन भीतर आन समाय…
वसंत ऋतु - कविता - समीर उपाध्याय
आ गई है वसंत ऋतु ऋतुओं की रानी, पिया मिलन की आशा मन में है जागी। मुस्कुरा उठी है अंतरात्मा की डाली, लहलहा उठी है म…
चाहत - कविता - सीमा शर्मा 'तमन्ना'
यह चाहत भी दोस्तों! बड़ी अजीब सी चीज़ होती है, यह तो वह कायनात है जो हर किसी को कहाँ नसीब होती है। हर शख़्स दम तो भरता है क़दम-क़दम पर इसक…
ढूँढ़ लो ख़ुद को - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
ढूँढ़ लो ख़ुद को ख़ुद में जो छुपा हुआ है भेद, तन है माटी का पुतला मन का मन का है फेर, जिस दिन तुमने जाना फिर हो जाएगा प्रेम, सुनो कवि क…
माखनलाल चतुर्वेदी - कविता - राघवेंद्र सिंह
हुई प्रफुल्लित भारत धरिणी, काव्य रत्न का जन्म हुआ। हिन्दी का उपवन है महका, स्वयं पुष्प का जन्म हुआ। त्याग तपस्या के अनुयायी, काव्य में…
शिकायत - कविता - अवनीत कौर 'दीपाली'
अथाह उम्मीदों का कारवाँ जब मेरी राहों से बिछड़ने लगा हर उस शख़्स से, शिकायत होने लगी जो मुझे तन्हा करने लगा। शिकायत भी उन्हीं से होती …
दर्द-ए-दिल किस को सुनाऊँ मैं - ग़ज़ल - एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ा तक़ती : 2122 2122 2 दर्दे-ए-दिल किस को सुनाऊँ मैं, गुज़र रहे है दिन कैसे बताऊँ मैं। तन्हाइयों से तंग आ …
प्रेम वीणा - कविता - राजीव कुमार
प्रेम की वीणा बज उठी उकसा रहा है इसका गुंजन, है युगों युगों से करता मन अपने प्रियतम का ही पूजन। नवरस रंग के पुष्प ने पहनाया है जो प्र…