आप के साथ - कविता - डॉ॰ सहाना प्रसाद

आप के साथ ज़िंदगी
हर लम्हा उत्सव।
सुबह दिल ख़ुश
रात को शान्त।
बातें करती हूँ
या चुप रहती हूँ,
लगता है दिल की बात
बिन कहे समझ ली आपने।
एक-एक पल अनमोल
होते है जब आप पास।
बस एक दुआ रब से
बीत जाए उमर, इसी तरह।

डॉ॰ सहाना प्रसाद - बेंगलुरु (कर्नाटक)

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