चाहत - कविता - सीमा शर्मा 'तमन्ना'

यह चाहत भी दोस्तों! बड़ी अजीब सी चीज़ होती है,
यह तो वह कायनात है जो हर किसी को कहाँ नसीब होती है।

हर शख़्स दम तो भरता है क़दम-क़दम पर इसके होने का
पर,
शिद्दत से थामते है जो दामन इसका ये उन्हें ही नसीब होती है।

यूँ तो वादा करती है साथ निभाने का ज़िन्दगी भर का,
मगर बिछुड़कर पल-पल मिलने के इन्तज़ार में ही तो 
रोती है।

वैसे तो लाख छुपाएँ फिरते हैं दुनिया से इस ग़म को सभी,
लेकिन उदासी चेहरे की उस हालात-ए-दिल से तो बयान होती है।

यह तो दोस्तों जब होनी हो किसी से हर हाल में होती है,
इसके होने की न तो कोई तारीख़ न ही शख़्सियत मुकर्रर
होती है।

यह न तो किसी वादे, किसी रस्म की मोहताज होती है,
ये तो ख़ुदा की वो इबादत है जो सच्ची दुआओं में ही मंज़ूर होती है।

सीमा शर्मा 'तमन्ना' - नोएडा (उत्तर प्रदेश)

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