दर्द-ए-दिल किस को सुनाऊँ मैं - ग़ज़ल - एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि'

अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ा
तक़ती : 2122  2122  2

दर्दे-ए-दिल किस को सुनाऊँ मैं,
गुज़र रहे है दिन कैसे बताऊँ मैं।

तन्हाइयों से तंग आ गया जनाब,
हर बात अब कैसे समझाऊँ मैं।

मजे लोग लेगे ये सोच चुप रहता,
ख़ुद का दिल ख़ुद से बहलाऊँ मैं।

दुनिया मे मुझे ग़म सभी ने दिए है,
इल्ज़ाम अब ये किस पे लगाऊँ मैं।

कुरेद रहे है ज़ख़्म जो बारबार मेरे,
बेरहम ज़ख़्मों को कैसे दिखाऊँ मैं।

ख़ुश है देख मुसीबत मे रक़ीब मेरे,
उनसे बताएँ कैसे प्यार निभाऊँ मैं।

एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि' - बीकानेर (राजस्थान)

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