संदेश
मैं बोझ नहीं हूँ - कविता - गणेश भारद्वाज
मैं बोझ नहीं हूँ भाग्य लेकर आई हूँ, ममता की मूर्त मैं कुदरत की जाई हूँ। मेरे आने से आँगन तेरा महकेगा, मन उपवन का हर एक कोना चहकेगा। का…
बरहम हुई हैं नज़रें मुझसे जो मेहरबाँ की - ग़ज़ल - अनिकेत सागर
अरकान : मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु फ़ाइलातुन तक़ती : 221 2122 221 2122 बरहम हुई हैं नज़रें मुझसे जो मेहरबाँ की, हालत ख़राब कर दी है मेरे…
राम : हमारी आत्मा - कविता - डॉ॰ गीता नारायण
राम... राम... और राम! सब वहीं पर विराम। जहाँ राम नही वहाँ कैसा विश्राम! चाहे जितना आगे जाऐं लौटकर आना होगा, हर इंसान को अंत में राम म…
गुलमोहर - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
गुलमोहर मानो स्वर्ग का फूल! लबालब भरा है पराग! खुले मधुमक्खी के भाग! मधुका का छत्ता रहा है झूल! धधके अंगार सा रंग! खिले हैं मधुऋतु क…
ख़्वाब मन में कई पल गए - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
अरकान : फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन तक़ती : 212 212 212 ख़्वाब मन में कई पल गए, तेरे आने से ग़म गल गए। वक़्त पर साथ तेरा मिला, तीर नैनो से वो च…
संसार ने दिया क्या? - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
ये सौभाग्य हमारा है कि हम इस संसार में आए, ख़ुशियों के सूत्रधार बने रिश्तों के आयाम बुने। पर हमनें संसार को क्या दिया शायद ही सोच पाए,…
पगली - कविता - कमला वेदी
प्रेम रंग में रंगी एक शहज़ादी, मुहब्बत के हंसी रंग बुनती है। पुष्प बिछाती राह में उसके, काँटे ख़ुद के लिए चुनती है। हाल बुरा उस शहजादी …
जले सदा जीवन दीवाली - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
शुभकामनाएँ दे रहा है, हृदय तल से 'अंशुमाली'। मातु लक्ष्मी आगमन हो, जले सदा जीवन दीवाली। भूलना मत एक अकिचंन, की कुटी दीपक जलाना…
चलें जलाएँ दीप हम - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
दीपों की महफ़िल सजी, चहुँदिस विजयोल्लास। मुदित सुखी धन शान्ति जग, नवजीवन आभास।। कौशल लौटी जानकी, पटरानी रघुनाथ। दीपक जगमग चहुँ जले, कर…
दीपावली - मुक्तक - महेन्द्र सिंह राज
दीवाली हर साल मनाते, रावण हर साल जलाते हैं। होली पर होलिका जलाकर, ख़ुशियाँ हर वर्ष मनाते हैं। दानवता पर मानवता की, जीत नहीं होने पाती ह…
दीपावली - कविता - सीमा वर्णिका
जगमगा रही अमावस की रात, धरती पर आई तारों की बारात। दीपावली का पर्व सुहाना, मस्ती में झूमते गाते गाना। त्यौहार का मिला बहाना। बनती मिठा…
अयोध्या की दीवाली - कविता - आशीष कुमार
चौदह वर्षों बाद हो रहा आगमन, राम लक्ष्मण संग जानकी का होगा अभिनंदन। सज रही अनुपम अयोध्या नगरी, जैसे सजती कोई अप्सरा सुंदरी। भव्य साज-स…
आशादीप - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
आओ आशा दीप जलाएँ अंधकार का नाम मिटाएँ। 2 रूह जलाकर ज़िंदा रहना, जीवन की तो रीत नहीं। अंतिम हद तक आस न खोना, मानव मन की जीत यहीं। फूलों …
दीया और दीपावली - कविता - रतन कुमार अगरवाला
आओ मिलकर दिवाली मनाएँ, हर कोने में दिए जलाएँ, धरती का अंधकार मिटाएँ, दीया जलाएँ, क़ंदील जलाएँ। आशाओं के दीप जलाएँ, निराशा को दूर भगाएँ,…
आई दीवाली - कविता - राजकुमार बृजवासी
आई दीवाली आई दीवाली, संग में ख़ुशियाँ लाई दीवाली, आई दीवाली आई दीवाली। दीप से दीप जलाएँगे, अंधियारा दूर भगाएँगे, पटाखे नहीं जलाएँगे, पर…
दिए जलाएँ - गीत - भगवत पटेल 'मुल्क मंजरी'
आओ फिर से दिए जलाएँ। मिलकर तम को दूर भगाएँ। आडम्बर, प्रपंच, पाखण्ड से हरदम दूर रहें हम। ईर्ष्या, द्वेष कहीं न हो, न हो कोई ग़म।। छल क…
मेरे घर भी आना - कविता - सौरभ तिवारी
हे माँ लक्ष्मी! इस दीवाली मेरे घर भी आना, नहीं चाहिए सोना-चाँदी बस दो रोटी ले आना। लाल कुपोषण झेल रहा है और घर में लाचारी है, टूटे छप्…
मन का कुछ अहसास कहो जी - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेल फ़आल तक़ती : 22 22 21 121 मन का कुछ अहसास कहो जी, कोशिश कर कुछ ख़ास कहो जी। तिल भर भी बाकी हो यदि तो, मिलने की…
कुम्हार - कविता - अनूप मिश्रा 'अनुभव'
खेतों से काटकर मिट्टी, टोकरी भर-भर निज द्वारे लाता। घास फूस कंकड़ निकाल, मिट्टी को निर्मल स्वच्छ बनाता। छिड़क-छिड़क जल पुनः-पुनः, सूखे मा…
पत्ती सूखी अब गिरी - कविता - अशोक बाबू माहौर
पत्ती सूखी अब गिरी डाली से जो अधमरी-सी लटकी थी दो दिनों से। हवा बल दिखाती ताण्डव करती भूचाल मचाती पेड़-पौधों को झकझोरती और पत्ती को घस…
एक वजह काफ़ी होती है - कविता - सैयद इंतज़ार अहमद
किसी को याद करने की किसी को याद आने की, किसी के दिल की धड़कन को महसूस करके, किसी के ख़्वाब के हिस्से में धीमे से पहुँच के, उसी की होंठ प…
मेरे प्रियतम तुम चले आना - कविता - नीलम गुप्ता
मेरे प्रियतम तुम चले आना, मेरे प्राणों को गले लगाना। मुझमें कितनी बेचैनी है इसे बयाँ करूँ मैं कितने शब्दों में? तुम्हारे प्रेम-विरह मे…
राधा-कृष्ण - गीत - डॉ॰ उदय शंकर अवस्थी
श्याम रंग अंग साँवरो राधिका के संग नाचे बाँसुरी बजाए श्याम बाँसुरी बजाए नाचे राधिका के संग। मतवाली हुई जाए मलय कहाँ रुक पाए गंध फल फूल…
बेस्ट फ़्रेंड - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जो मेरे हसबैंड थे, बस वो ही बेस्ट फ़्रेंड थे, 2 दौलत सत्ता मान प्रतिष्ठा, मेरे बदले कुछ न लेते। अगर ज़रूरत पड़ जाती, तो जलते शोले भी सह …
शीत - कविता - नंदिनी लहेजा
हो रही शांत अब तपन धूप की, हवाएँ पंख फहरा रहीं। रवि को है जल्दी वापसी की, निशा, शशि संग इतरा रही। गई वर्षा अपने घर वापस, अब शीतऋतु की …