आओ आशा दीप जलाएँ
अंधकार का नाम मिटाएँ। 2
रूह जलाकर ज़िंदा रहना,
जीवन की तो रीत नहीं।
अंतिम हद तक आस न खोना,
मानव मन की जीत यहीं।
फूलों से महकें महकाएँ,
ख़ुशियाँ दोनों हाथ लुटाएँ।
आओ आशादीप जलाएँ,
अंधकार का नाम मिटाएँ।
सूखे पत्तों से झड़ जाते,
इक दिन दुःखों के साए।
मीत हृदय को धीरज देना,
पतझड़ ही मधुमास बुलाए।
सूरज से चमके चमकाएँ,
जीवन का इक राग सुनाएँ।
आओ आशा दीप जलाएँ,
अंधकार का नाम मिटाएँ।
ख़ुद से कभी न रूठो मितवा,
कोई कितना तुम्हें सताए।
नदियों जैसे बहते रहना,
कोई कितनी रोक लगाए।
ख़ुशियों की सौग़ात सजाएँ,
दर्द दिलों के रोज़ मिटाएँ।
आओ आशा दीप जलाएँ,
अंधकार का नाम मिटाएँ।
जीवन को हँसकर के जी लो,
आओ उठकर भागो दौड़ो।
ग़म की बातें यार भुला दो,
बीत गया वो पीछे छोड़ो।
आओ सब मिल नाचे गाएँ,
ख़ुशियों की बारात सजाएँ।
आओ आशा दीप जलाएँ,
अंधकार का नाम मिटाएँ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)