आई दीवाली - कविता - राजकुमार बृजवासी

आई दीवाली आई दीवाली,
संग में ख़ुशियाँ लाई दीवाली,
आई दीवाली आई दीवाली।

दीप से दीप जलाएँगे,
अंधियारा दूर भगाएँगे,
पटाखे नहीं जलाएँगे,
पर्यावरण शुद्ध बनाएँगे।
मिट्टी के दीयों से घर आँगन सजाएँगे,
भारतीय संस्कृति अपनाएँगे,
चाइनीज़ लाइट नहीं लगाएँगे,
मिट्टी के दिए जलाएँगे,
भारतीय संस्कृति अपनाएँगे।
सबके मन को भाई दीवाली,
आई दीवाली आई दीवाली।

रिश्तो पर जो धूल जमी है,
उसको साफ़ कर देना,
भूलाकर सारे शिकवे गिले,
सबको माफ़ कर देना।
दीवाली दिल से मनाएँगे
इस क्षण को यादगार बनाएँगे,
आशीर्वाद बड़ों का लेकर,
गीत ख़ुशी के गाएँगे।
फूलों की लड़ी सजाएँगे,
मिट्टी के दिए जलाएँगे,
भारतीय संस्कृति अपनाएँगे।
नई उमंगे लाई दीवाली,
आई दीवाली आई दीवाली।

रोशनी का त्यौहार दीवाली,
ख़ुशियों की बहार दीवाली,
सत्य की होती जीत सदा,
कहती है हर बार दीवाली।
प्रभु श्री राम के चरणों में,
दीपक हम जलाएँगे,
लक्ष्मी सरस्वती मंगल मूर्ति
का आशीर्वाद हम पाएँगे।
मिट्टी के दिए जलाएँगे,
भारतीय संस्कृति अपनाएँगे।
घर में मंगल बरसाई दीवाली,
आई दीवाली आई दीवाली।

राजकुमार बृजवासी - फरीदाबाद (हरियाणा)

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