एक वजह काफ़ी होती है - कविता - सैयद इंतज़ार अहमद

किसी को याद करने की
किसी को याद आने की,
किसी के दिल की धड़कन
को महसूस करके,
किसी के ख़्वाब के हिस्से
में धीमे से पहुँच के,
उसी की होंठ पर मुस्कान
लाने की,
एक वजह काफ़ी होती है।

कोई तन्हा हो तो उसकी
तन्हाई का हमसफ़र बनके,
तसल्ली देके, थोड़ी दूर 
उसके साथ चल के,
उसके उदास मन में आशा
की किरण लाने की
एक वजह काफ़ी होती है।

जो नाउम्मीद बैठे हैं, उनके
पीठ पर देके थपकी हल्की सी,
उनको ख़ुद के ताक़त की
दिला के याद,
आँखों में उनकी उम्मीद की
चमक लाने की,
एक वजह काफ़ी होती है।

सैयद इंतज़ार अहमद - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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