सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)
संसार ने दिया क्या? - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
सोमवार, नवंबर 08, 2021
ये सौभाग्य हमारा है
कि हम इस संसार में आए,
ख़ुशियों के सूत्रधार बने
रिश्तों के आयाम बुने।
पर हमनें संसार को क्या दिया
शायद ही सोच पाए,
क्योंकि हमनें अपनी भूमिका से
शायद न्याय नहीं किया,
संसार में आने का मतलब जो था
पूरा करने का विचार तक नहीं किया।
हमनें संसार को
फुटबॉल का मैदान समझ लिया,
मर्यादा को फुटबॉल समझ
ठोकर पर ठोकर दिया।
बहुत कराहते हैं हम
संसार ने हमें क्या दिया?
जरा दिमाग़ पर जोर डालिए
फिर बताइए संसार ने क्या नहीं दिया?
कम से कम इतनी तो अकल
लगाइए न हुजूर
एक हाथ देकर ही
दूजे से लेना सीखिए हुजूर।
संसार ने तो पल-पल
आपको दिया ही है,
भ्रम का शिकार हो आप
तनिक अहसास न हुआ है,
जो कुछ आपके पास है
संसार ने ही दिया है
प्रकृति, जल, जंगल, ज़मीन
वायु, अन्न, वस्त्र, प्रकाश
प्राकृतिक संतुलन, धूपछाँव
जाड़ा, गर्मी, बरसात
रिश्तों का आभास
आपकी हर ज़रूरत का इंतज़ाम
सब इस संसार ने ही किया है।
बदले में आपने संसार को
घाव ही घाव दिया है,
सिर्फ़ अपने स्वार्थ की ख़ातिर
संसार को घायल किया है,
अपने घमंड, अतिरेक में सदा
संसार की पीड़ा को
नज़रअंदाज़ किया है,
ख़ुद को संसार से ऊपर ही नहीं
अपने आपको ईश्वर,
जगत नियंता समझ लिया है,
ऊपर से रोना ये भी कि
संसार ने दिया क्या है?
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर