संदेश
भारत माँ की तुम हो शान - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
सिसोदिया राजवंश के राजा, भारत माँ की तुम हो शान। राणा सांगा के पोते तुम, उदय सिंह के पुत्र महान।। सकुशल योद्धा भारत के तुम, बहादुरी के…
राधामाधव प्रीत मन - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
राधा माधव प्रीत मन, बसो हृदय गोपाल। मनमोहन मधुवन मुदित, मोरमुकुट शुभ भाल।। हर्षित मन मधु माधवी, नंदलाल अभिराम। बरसी सावन की घटा, भींग…
रात - कविता - दीपक राही
रात समंदर सी, देखो तो दूर तक अँधेरा, अपने में ढेरों कहानियाँ समेटे हुए, बे-परवाह, शांत, अपने आग़ोश में लेकर सुकून देती, आँखों में अँधेर…
पर्यावरण - गीत - महेश चन्द सोनी "आर्य"
पर्यावरण हमारा, हम सबको वो प्यारा। पर्यावरण हो शुद्ध अगर तो जीवन सुखी हमारा। हवा शुद्ध नहीं शुद्ध नहीं जल, रोज़ करें पेड़ों का क़त्ल ह…
सदा सुखी रहो बेटा - लघुकथा - सुषमा दीक्षित शुक्ला
रिटायर्ड इनकम टैक्स ऑफिसर कृष्ण नारायण पांडे आज अपनी आलीशान कोठी में बहुत मायूसी महसूस कर रहे थे, क्योंकि उनकी दो हफ़्ते से बीमार पत्नी…
इश्क़ का इज़हार - कविता - संदीप कुमार
बहुत ही आसान है किसी को दिल से प्यार करना। लेकिन आसान नहीं होता इश्क़ का इज़हार करना। अब देख लो हम भी तुमसे बातें तो हज़ार करते हैं। लेकि…
अक्सर - कविता - ऋचा तिवारी
वो कहते हैं अक्सर, "औरत होने का फ़ायदा उठाती हूँ मैं", पर कभी औरत होने का नुक़सान, क्या देखा है तुमने! मौक़ा पाते ही, छेड़ने म…
स्फूर्ती - आलेख - निशांत सक्सेना "आहान"
हर बार जब आप जागते हैं तो आप एक अलग व्यक्ति होते हैं। नए दिनकर के साथ शरीर स्फूर्ति से परिपूर्ण होता हैं। आलस्य भी विभावरी के साथ उड़नछ…
लौट चला है सूरज - गीत - आलोकेश्वर चबडाल
चल रे घर चल नाविक अब तो लौट चला है सूरज! आशाओं की किरणें लेकर निकला दूर गगन से, दशों दिशाओं को चमकाया उसने सधी लगन से। तू भी निकला आँ…
तुम बिन मैं, मैं बिन तुम - कविता - अंकुर सिंह
तुम बिन मैं, मैं बिन तुम, दोनों है सदियों से अधूरे। जैसे दिल बिन धड़कन, वैसे तुम बिन हम न पूरे।। नीर बिन ना नदी होती, समीर बिन ना ज़िंद…
कृपा करो भगवन - गीत - डॉ. देवेन्द्र शर्मा
हे कृपा करो भगवन! कुछ कर दो दया हम पर, तव रोष पूर्ण दृष्टि से बहुत रहे हम डर।। प्रभु साथ खड़े जिनके हत्यारे मानवता कर क्रूर कर्म र…
बचपन - कविता - आराधना प्रियदर्शनी
झूठ और चोरी के डर से परे, साहस और स्पष्टवादिता के साथ, दुश्मनी की कड़वाहट से दूर, चंचलता और आत्मीयता के साथ। बदनामी की संभावना से अपरि…
अन्नदाता की भूख - कविता - फरहाना सय्यद
तेरा ग़ुरूर कृषक को मजबूर पुकारे, पर उस पुकार को साँसें सदा नकारे। उसके सपनों में तेरा लक्ष्य निहारे, तेरे मंसूबों में अटकी हलधर की साँ…
शिक्षा का मंदिर - लघुकथा - नृपेंद्र शर्मा "सागर"
जय प्रकाश कोई बीस साल बाद गाँव लौटा तो उसके क़दम अनायास की गाँव से सटे जँगल की और बढ़ गए जहाँ एक दूर तक फैला हुआ आश्रम था। आश्रम के मुख्…
जीवन सुदृढ़ करो ना राम - कविता - कंचन शुक्ला
तन में शक्ति मन में भक्ति नित्य नया जीवन दो राम, संघर्षों को नींव बना कर जीवन सुदृढ़ करो ना राम। सतकर्मों का मोल बढ़ा दुष्कर्मों को घटाओ…
जिनके क़ब्ज़े में पल नहीं होते - ग़ज़ल - अंदाज़ अमरोहवी
अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1212 22 जिनके क़ब्ज़े में पल नहीं होते। उनके हिस्से में कल नहीं होते।। फेंक दे हाथ से ये तलव…
अंकुरण - कविता - असीम चक्रवर्ती
सूरज मेघों के संग लुका-छिपी खेल रहा था, देखते ही देखते बर्षा की बूँदें झर झर टपकने लगीं। माटी की सोंधी महक फैल गई चारों ओर वातावरण म…
पापा मुझे भी पुलिस बना दो - कविता - सुनील धाकड़
पापा मुझे भी पुलिस बना दो, चलना है मुझे भी चोर पकड़ने, पुलिस बनने लगा, अब जी मचलने। मुझको भी तुम वर्दी पहना दो, पापा मुझे भी पुलिस बन…
हल्दीघाटी - आल्हा छंद - महेन्द्र सिंह राज
राणा कर में भाला सोहै, झाला कर सोहै तलवार। बैरी सेना टिक ना पाए, होने लगे वार पे वार।। राणा के भाला के आगे, जो आता गर्दन कट जाए। दूर…
तो देखते - ग़ज़ल - अमित राज श्रीवास्तव "अर्श"
अरकान : फ़ेलुन फ़ऊलुन फ़ेलुन फ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन तक़ती : 22 122 22 222 1222 212 उनकी अदाएँ उनके मोहल्ले में चलते तो देखते। वो भी कभी…
त्राहिमाम - चौपाई छंद - अजय गुप्ता "अजेय"
तुम हो जग के पालनहारे। ब्रहां, विष्णु, महेश हमारे।। हे आपदा प्रबंध प्यारे। सबहु तेरी कृपा सहारे।। सूनी सड़क गली चौबारे। जैसे नभ से ओझल …
इंसान की भूख - कविता - प्रद्युम्न अरोठिया
इंसान को इंसान की भूख ने मारा, हड्डियों के ढाँचों का शहर कर डाला। हर तरफ़ एक ही चीख़ निकलती है, मौत ने नींद जो गहरी दे दी है। कोई नहीं स…
आओ इस धरा को हरित बनाएँ - कविता - सन्तोष ताकर "खाखी"
आओ इस धरा को हरित बनाएँ एक एक पेड़ से कर शुरुआत, आओ क़सम ये खाएँ, यह सिलसिला बारंबार अपनाएँ, आओ इस धरा को हरित बनाएँ। कल जो काटे थे पेड…
घर आँगन - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
घर आँगन सुन्दर सजे, मिल जुल नित सहयोग। त्याग शील पौरुष सुभग, नीति प्रीति बिन रोग।। खिले कुसुम घर प्रगति के, आँगन भारत देश। सुखद शान्ति…
जय महावीर - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जय महावीर हनुमान प्रभू, अब संकट सारे दूर करो। हे! अंजनि सुत मारुति नन्दन, है संकट मोचन नाम तेरो। तब देवों के दुःख दूर करे, अब हम मनुजो…