पापा मुझे भी पुलिस बना दो - कविता - सुनील धाकड़

पापा मुझे भी पुलिस बना दो,
चलना है मुझे भी चोर पकड़ने,
पुलिस बनने लगा, अब जी मचलने। 
मुझको भी तुम वर्दी पहना दो, 
पापा मुझे भी पुलिस बना दो।

पुलिस बनकर सबकी रक्षा करूँगा, 
देशभक्ति जनसेवा मैं भी करूँगा, 
बन्दूक चलाना मुझे सिखा दो,
पापा मुझे भी पुलिस बना दो।

करूँगा नेक काम पुलिस बनकर,
रहूँगा हमेशा सबसे मिल-जुल कर,
पाठ पुलिस का मुझे पढा दो, 
पापा मुझे भी पुलिस बना दो।

सच्चाई की राह पर चलना हैं,
नित नए काम मुझे करना हैं,
सच्चाई का पाठ तुम मुझे पढा दो, 
पापा मुझे भी पुलिस बना दो।

संकट में मुझे दौड़कर जाना है,
वर्दी की शान को बढाना है,
सिंघम बाला चश्मा लगा दो,
पापा मुझे भी पुलिस बना दो।

बनना है मुझे तो सिर्फ़ पुलिसवाला,
जनसेवा का मौक़ा नही इसके अलावा,
अब मुझे तुम टोपी पहना दो,
पापा मुझे भी पुलिस बना दो।

सुनील धाकड़ - करैरा, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)

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