अमित राज श्रीवास्तव "अर्श" - चन्दौली, सीतामढ़ी (बिहार)
तो देखते - ग़ज़ल - अमित राज श्रीवास्तव "अर्श"
शनिवार, जून 12, 2021
अरकान : फ़ेलुन फ़ऊलुन फ़ेलुन फ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन
तक़ती : 22 122 22 222 1222 212
उनकी अदाएँ उनके मोहल्ले में चलते तो देखते।
वो भी कभी यूँ मेरे क़स्बे से गुज़रते तो देखते।
बस दीद की उनकी ख़ाहिश लेकर भटकता हूँ शहर में,
लेकिन कभी तो वह भी राह गली में दिखते तो देखते।
केवल बहाना है यह मेरा चाय पीना उस चौक पे,
सौदा-सुलफ़ लेने वह भी घर से निकलते तो देखते।
हर रोज़ उनको बिन देखे ही लौट आने के बाद मैं,
अफ़सोस करता हूँ कि थोड़ा और ठहरते तो देखते।
मैं बा-अदब ठहरा था जब गुज़रे थे वो मेरे पास से,
ऐ 'अर्श' उस दिन ही गर आँखें चार करते तो देखते।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर