राणा कर में भाला सोहै, झाला कर सोहै तलवार।
बैरी सेना टिक ना पाए, होने लगे वार पे वार।।
राणा के भाला के आगे, जो आता गर्दन कट जाए।
दूर से देख अरि की सेना, भागे मात मात चिल्लाए।।
समर भूमि पट गइ लाशों से, बहै रक्त चौतरफा जाय।
राणा की सेना के आगे, यव्वन सेना टिकती नांय।।
इधर भवानी का जयकारा, उधर पुकारें अल्ला बोल।
हल्दीघाटी समर भूमि में, बैरी शोणित भू में घोल।।
चेतक का कर्तव्य निराला, सुनकर दुश्मन की ललकार।
समर भूमि में निज टापों से, देता था दुश्मन को मार।।
महेन्द्र सिंह राज - चन्दौली (उत्तर प्रदेश)