हे कृपा करो भगवन!
कुछ कर दो दया हम पर,
तव रोष पूर्ण दृष्टि
से बहुत रहे हम डर।।
प्रभु साथ खड़े जिनके
हत्यारे मानवता
कर क्रूर कर्म रहे वे
लज्जित है दानवता
जो कुछ समर्थ प्रभुवर!
लड़ते जैसे तैसे
पर हैं असहाय जो नर,
लड़ पाएँ वे कैसे
इन सब का जो नायक
वह बहुत हुआ बेडर।
हे कृपा करो भगवन!
कुछ कर दो दया हम पर।।
वह अट्टहास करता
मैं इतना बलशाली,
जो ले मुझ से टक्कर
वह कौन शक्तिशाली।
पृथ्वी पर भीर पड़ी
तब आए आप दौड़े,
अब बने हुए निष्ठुर
क्यों मुख अपना मोड़े।
दंभ किसी का कभी भी
ना सहें आप प्रभु वर,
हे दया करो भगवन!
कुछ कर दो कृपा हम पर।।
जो बेबस बेचारे
वे पिसते आज मानव,
जो रहे क्रूर कुकर्मा
वे फलते आज दानव।
यहाँ कौन सुनेगा उनके
हे रघुवर मन की तुम बिन,
आने की बाट जोहें
गिन गिन पल पल छिन छिन।
बन जाओ रावणारि फिर से
तुम दीनानाथ रघुवर,
हे कृपा करो भगवन!
कुछ कर दो दया हम पर।।
डॉ. देवेन्द्र शर्मा - अलवर (राजस्थान)