संदेश
मर्यादा - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
यह कैसा समय आ गया है मर्यादाओं का ह्रास बढ़ रहा है, संबंध फीके हो रहे हैं मर्यादाएं दम तोड़ रही हैं परिवार बिखर रहे हैं ऐसा मर्यादा घटने…
लगी प्रिया मनुहार प्रिय - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रिमझिम सावन लखि घटा, मचला दिल मनमीत। चिढ़ा रहे चातक युगल, देख विरह नवनीत।।१।। कुपित आज दिलवर सजन, चंचल प्रिय रतिकाम। लगी प्रिया मनुहार …
अन्नदाता की दुर्दशा - कविता - आशाराम मीणा
किसी का वेतनमान बड़ा है, बड़ा किसी का भत्ता। किसी का पद ओहुदा बड़ा है, बड़ी किसी की सत्ता।। अन्नदाता का मान घटा है, अफसर सुने न नेता। …
दर्द क्यों देते हो - कविता - उमाशंकर मिश्र
दर्द ने दर्द से पूछा कि क्यों दर्द देते हो इंसानों को? मिला जबाब पहाड़, पेड़, पौधे को रौद कर नाश कर दिया किसानों को। नदियों मे प्रदुषण, …
महिला गीतकारों की कमी - लेख - सलिल सरोज
महिला फिल्म गीतकारों की संख्या आज भी गिनीचुनी है। यह सोचने की बात है कि एक महिला ने फिल्मों में गीत सबसे पहले 1955 में लिखे थे, लेकिन …
अरमान जो पुरे न हुये - संस्मरण - कुन्दन पाटिल
एक अच्छे उदेश्य से शुरू किया कार्य कैसे बिच मे ही दम तोड देता है। यही समझाना शायद इस संस्मरण का उदेश्य है। हम कुछ सहकर्मी मित्रों द्वा…
तुम बिन मैं फिर भी तुम हूँ - कविता - बिट्टू
मैं कितनी ख़ैरियत करूँ खुद की खुद से कोई पूछे तो इस बारे में बैठकर मुझ से मैं खत्म हो रहा, पता नहीं कब तक रहूँगा मैं तुम्हें कब का मार …
दुर्गा - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
आश्विन नवरात्रि में नवदुर्गे करुणामयी भवानी। सुरतेजस्विनी सती विखंडित संतापनाशिनी तू।। आरोग्यकारिणि शीतले शैलजे मधुकैटवघातिनि…
मिट्टी के दीये - कविता - श्याम "राज"
दीप जलाओ खुशियों के मिटा दो अंधियारे दिलों के देखो ! आ गई है दिवाली फिर खुशियों की बारात ले के रंग रोगन देखो सब पुराने हुए चलो फिर से…
आईना - कविता - मास्टर भूताराम जाखल
आईना है जो सदैव हकीकत बताता हूँ, इन्सान को खुद की अहमियत बताता हूँ । गुण-दोषों की वह समालोचना करता है, सच कहने से वो तनिक भी नहीं डरता…
पूनम की चाँद - दोहा - संजय राजभर "समित"
सुहाग सेज पर बैठी, जब पूनम की चाँद। तब पूरी हुई मेरी, वर्षो की फरियाद।। आज जगत निहार रहा, कौन धनी है यार? घनी अमावस की निशा, पूनम की उ…
नशेड़ी माटसाब - कविता - कर्मवीर सिरोवा
वो आज फिर वक्त से निकला हैं, क्या लगता हैं आज स्कूल पहुँच जायेगा। उसकी प्यासी रगें इस उजलत में थी, इस राह ठेका आयेगा। जेब में पड़ी नोटे…
मोहब्बत - कविता - कपिलदेव आर्य
मोहब्बत के बाज़ार से लुटकर आया हूँ, ठोकरों से घायल फिर वही दिल लाया हूँ! इस प्यार की तृश्नगी ने बर्बाद कर दिया, टुकड़ों में दिल की धड़…
तालीम से रौशन जिंदगी हो - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन
कभी वो इंसानियत का रखवाला नहीं होता! इल्म को किरदार में जिसने ढाला नहीं होता! तालीम से रौशन जिंदगी हो भी सकती है, जहालत में जिंदगी का…
सिर्फ! मैं ही कहूँगा? - कविता - प्रवीन "पथिक"
जब भी तुम्हें देखता हूँ; तेरी छवि पहले से मोहक लगती है। संशय होता है तुमसे बात करने में; भय लगता है, अपने प्यार का इज़हार करने मे…
जय माँ की महिमा - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जय माँ की महिमा अपरम्पार, नवदुर्गे जग की तारणहार। नवमहाशक्ति ममता आगार, जय शैलपुत्री गौरी अवतार। जग शान्त…
दिल का अखबार - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
हँस दो इक बार ज़रा कर लो अब प्यार ज़रा मैं साथ तुम्हारे हूँ समझो दिलदार ज़रा खुद को पा लो छूकर साँसों के तार ज़रा अहसासों में…
साहस - गीत - संजय राजभर "समित"
फैली धरती खुला गगन है, जी-भर के उड़ान भर लो। सब संभव है इस जीवन में जो चाहो हासिल कर लो।। खाली हाथ सभी हैं…
प्रकृति - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
प्रकृति की भी अजब माया है निःस्वार्थ बाँटती है भेद नहीं करती है, बस कभी कभी हमारी उदंडता पर क्रोधित हो जाती है। हर जीव जंतु पशु पक्षी…
सेवा करो आदमी की - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
एक अजीबो गरीब वाकया है कि कई लोग आँखों के होते हुए भी अन्धे बनते है विवेक के होते हुए लोग चेतना शून्य है जीवन के होते हुए भ…
कब तक ज़ुल्म सहेगी बेटी - कविता - आशाराम मीणा
पूछ रही हैं घर की बाला, बापू एक उलाहना है। मिटे अंधेरा जग का सारा, ऐसा दीप जलाना है।। बेटा बेटी समकोटीय, सबको यह बतलाना है। मरे खोख मे…
चक्कर में - कविता - विनय विश्वा
क्यों पड़े हो चक्कर में सब अपने है चक्कर में कोई नहीं है टक्कर में सब बदते है खद्दर में। कोई कहता इसको डालो कोई कहता उसको सब सत्ता का …
हुप्पा का राज - कहानी - शिवम् यादव "हरफनमौला"
"हुप्पा" नाम सुनने में तो अजीब सा महसूस हो रहा है, परन्तु ये नाम ऐसा वैसा नहीं है। ये नाम एक आज के चर्चित खेलों में से एक लो…
आनंद सुरभि यश गायन हो - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
ओंकार शान्ति मन भावन हो , परमेश भजन नित सावन हो, अभिलाष हृदय सेवन भारत, आनन्द सुरभि यश गायन हो। परमार्थ निकेतन जीवन हो, अरु…