दिल का अखबार - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"

हँस दो  इक  बार ज़रा 
कर लो अब प्यार ज़रा

मैं  साथ  तुम्हारे   हूँ 
समझो दिलदार ज़रा

खुद को पा लो छूकर
साँसों  के  तार  ज़रा

अहसासों   में     ढूँढ़ो
धड़कन का ज्वार ज़रा

अक्षर - अक्षर  पढलो
दिल का अखबार ज़रा

ये ख्वाब  नहीं सच है
मानो  भी यार  ज़रा

आँखें  खोलो  देखो
अंचल  संसार  ज़रा

ममता शर्मा "अंचल" - अलवर (राजस्थान)

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