दुर्गा - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

आश्विन नवरात्रि में नवदुर्गे  करुणामयी    भवानी।
सुरतेजस्विनी सती   विखंडित  संतापनाशिनी  तू।।

आरोग्यकारिणि शीतले शैलजे  मधुकैटवघातिनि।
गिरिजा सर्वदा  प्रकृतिविलासिनी  ब्रह्मचारिणी तू।।

स्कन्धमाता  जगतापहन्त्रिके माँ असुरनिकन्दनी।
भैरवि  कराल  महाकाली  चामुण्डाविधायिनि तू।।

कुष्माण्डा   सिद्धिदात्री   गौरी  माँ महाकालरात्रि।
कात्यायिनी     विघ्नेशमाता  सतत  बुद्धिदात्री तू।।

ब्रह्माणी  धरित्री  सृष्टिकत्री   शोणितबीजग्राहिणी।
शोणिता  धुम्रघातिनी    भवानी   महीषमर्दिनि  तू।। 

विन्ध्याचली तारा  शिवा माँ   शुम्भनिशुम्भमर्दिनी।  
जगद्धात्री महालक्ष्मी    अन्नपूर्णा   तापहारिणि तू।।

कोपमुद्रे   महागौरि तुष्टि श्रद्धा  वृत्तिके   भगवति।
त्रिपुरसुन्दरी   माहिष्मती मनसा मातंगरूपिणी तू।।

अपर्णेति   जगविदिते संघर्षिणी  अम्बे  दयानिधि।
वैष्णवी   मायेश्वरी  भगवती   शक्ति स्वरूपिणी तू।।

बगलामुखी तरंगिणी कमला यमुना नित निनादनि।
तुष्टि क्षुधा निद्रा   प्रदात्री लज्जावती  विलासनि तू।।

मनोरमा दिव्या भव्या शान्ति भ्रान्ति कान्तिरूपिणी।
जगदम्बे   जातिप्रदे      देवासुर   मनुज  हर्षिणी तू।।

महादेवी   सिद्धिदात्री   हे  कौशिकी  लोकनन्दिनि।
सिंहवाहिनि  पद्मावति  कलावति  वीणावादिनी तू।।

हंसवाहिनि वरदायिनि सत्यरूपे अम्ब जगतारिणि।
अष्टादश भुजा  शंख चक्रगदा पद्म  स्वरूपिणि तू ।।

हे जगदम्बिके अवलम्ब  सुखदायिनि करुणामयि।
करुणा दया सत्प्रेम दे समरस सुखी माँ शान्ति तू।। 

दुराचारी  व्यभिचारी  भ्रष्ट  झूठ   कपटी   लालची। 
भयभीत जग अन्याय चहुँदिक् तार दे त्रिपुरेश्वरि तू।।

जयचंद  कुछ  हैं राष्ट्र  में नापाक पथ बन सारथी।
प्रसरित चतुर्दिक त्रासदी हर मातु भुवि संताप  तू।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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