संदेश
नहीं भैये - ग़ज़ल - महेश कटारे "सुगम"
ये गजल वो ग़ज़ल नहीं भैये जिस्म सूरत शकल नहीं भैये बात महबूब की नहीं इसमें कल्पना की फसल नहीं भैये इसके शेरों की तख्तियां मत कर इसमें उर…
औपचारिकता - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
नवरात्रों में माँ का दरबार सजेगा, माँ के नवरूपों की पूजा होगी, धूप दीप आरती होगी हर ओर नया उल्लास होगा। चारों ओर माँ के जयकारे गूँजेंग…
हे नारी तू कितनी महान - कविता - अनिल भूषण मिश्र
हे नारी तू कितनी महान नहीं जग में कोई तेरे समान धर्म, दया, लज्जा का पालन करती सबके तन मन का दुःख हरती सदा प्रेम का है करती दान हे नारी…
फौजी का निर्णय - कहानी - सतीश श्रीवास्तव
देश की सेना में सेवा करना सचमुच ही एक अद्भुत अनुभूति देता है, अपना तन-मन राष्ट्र के लिए होता है समर्पित और यह समर्पण का भाव देता है उन…
कर्मवीर बनो - कविता - मधुस्मिता सेनापति
विधाता को क्यों कोसना जब कर्म पर हैं भरोसा विधाता ने सर्वांग सही सलामत दिए तो भाग्य पर क्यों रखते हो आशा ...? बिना कर्म किए भाग्य को क…
गम उसका नहीं था - कविता - आनन्द कुमार "आनन्दम्"
सुबह नींद देर से खुली गम उसका नहीं था रात को देर से सोया गम उसका भी नहीं था। वह कल मिला था अपने बरामदे मे चारपाई पे बैठा मन ही मन कुछ …
एक दोस्ती ऐसी भी - लघुकथा - श्रवण कुमार पंडित
पंद्रह वर्ष की रानी अपने मोबाइल पर बहुत व्यस्त रहा करती थी। एक दिन घर में उसकी बड़ी दीदी और पड़ोसी आपस में लड़ने लगे इस बात की भनक तक उसे…
सच्चे सपूत - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
भारत माँ के सच्चे सपूत अब्दुल पाकिर कलाम। उनको मेरा शत शत प्रणाम शत शत सलाम। वह थे पक्के कर्तव्य निष्ठ वह भारत माँ के अमर रत्न। …
सलाम मिसाइल मैन अब्दुल कलाम - कविता - सुनीता रानी राठौर
समर्पित चंद पंक्तियां उस महान आत्मा को फैलाए प्रकाश जो दिव्यज्योत बन जग में। सलाम मिसाइल मैन अब्दुल कलाम, स्वैच्छिक कार्य वैज्ञानिक …
मुस्कान - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जठरानल में अन्न हो, होठों पर मुस्कान। सबके तन पर हो वसन, सबके पास मकान।।१।। धन वैभव सुख इज्जतें, सबको सदा नसीब। सभी बने शिक्षित सबल, स…
अदला बदली - कविता - डॉ. अवधेश कुमार अवध
सुबह जगाने आता सूरज, शाम सुलाने आता चंदा। गर अदला-बदली हो जाए, झूम - झूमकर गाए बंदा।। पता नहीं सूरज को निश दिन, इतनी सुबह जगाता …
जब जागो तभी सवेरा - गीत - संजय राजभर "समित"
ज्ञान चक्षु ने भ्रम उधेरा। जब जागो तभी सवेरा।। आच्छादित थे घन कुहरे दिशाहीन थे भव लहरे, अब लहरों पर है डेरा। जब जागो तभी सवेरा।। उम…
मैं अबला नहीं - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
अब वह समय नहीं रहा अब मैं अबला नहीं सबला हो गई हूँ। वो समय गुजर गया जब मैं छुईमुई सी हर बात में घबरा जाती थी, डर जाती थी, आज मेरे हौ…
कान्हा से पुकार - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"
मोह माया, स्वार्थ छल। नही है, अब कोई हल।। दिल देता बधाई, बारम्बार। हो खुशियों भरा, त्यौहार।। पर आशाएं, हैं भरी पड़ी। कान्हा दो, खुशियाँ…
आज का दौर - कविता - सूर्य मणि दूबे "सूर्य"
आज के दौर की बातें कर लें जुबा कुछ कहती कुछ दिल नें छुपाई है किसी की टोपी किसी के सर, किसी और ने पहनाई है, किसी का प्यार, किसी की पसन…
नव आशा जन अभिलाषा दूँ - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
अभिलाषा बस जीवन जीऊँ, भारत माँ का पद रज लेपूँ। जीवन का सर्वस्व लुटाकर, मातृभूमि जयकार लगाऊँ। चहुँ…
माँ - कविता - नूरफातिमा खातून "नूरी"
उंगली पकड़ा के चलना सीखाती है माँ हर ज़ख्म पर मरहम लगाती है माँ जमाना जब भी हमें ठोकर लगाया उठा कर अपने सीने से छहलगाती है माँ जब भी भ…
कुछ भूल चलें - गीत - संजय राजभर "समित"
मतभेद के गुबार न फूटे , संबंधों के बंध न छूटे । आओ कुछ पल संवाद करें । कुछ भूल चलें , कुछ याद करें ।। लोक व्यवहार बड़ा जटिल है, इस…
संघर्ष - कविता - कर्मवीर सिरोवा
पिता के खुरदरे पैर जैसे ही दहलीज पर घर्षण करते थे, घर में वो निढ़ाल जिस्म एक ऊर्जा ले आता था। तिरपाल जैसी चुभती शर्ट ऐसे भीगी होती थी…
ये दौर कब जाएगा - कविता - अरविन्द कालमा
कब यहाँ जातिवाद खत्म हो पाएगा कब मानव सुखी जीवन जी पाएगा। इस दौर में मानवता शर्मसार हो रही पता नहीं ये दौर कब जाएगा।। इस दौर ने झेली ब…
ले चलो मुझको मेरे गाँव - कविता - अंकुर सिंह
मुझे खूब याद आता है, मेरा प्यारा प्यारा गाँव। बारिश के दिनों में जहां, चलती कागज की नाव।। बहुत याद आता है मुझकों, कभी अपनों का वो साथ।…
चलो जीना सीखें - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
चलो जीना सीखें उन्हीं से झुर्रियों भरे गालों से अधपके बालों से, अनुशासन के अनुभवों से चलो जीना सीखें उन्हीं से। ये खूबसूरत सांझ ढ़ली…