संदेश
समय - कविता - सचिन कुमार सिंह
शासक पर भी शासन करता, सबको नाच नचाता है, समय बड़ा ही मूल्यवान है, लौट नहीं यह आता है। स्थिरता के अभाव में, निरंतरता के स्वभाव से, बढ़त…
प्रेम - कविता - सतीश शर्मा 'सृजन'
प्रेम अर्पण है, समर्पण है, अनुशासन का दर्पण है। जीवन का संचालन है, प्रेम आज्ञा का पालन है। प्रेम अनुरिक्ति है, प्रेम ही विरक्ति है। सब…
गणपति मंगलकारी - गीत - उमेश यादव
प्रथम पूज्य गणनायक देवा,विघ्नेश्वर हितकारी। शंकरसुवन पार्वतीनंदन, गणपति मंगलकारी॥ हे शिवनंदन, प्रातःवंदन, रिद्धि सिद्धि के दाता। शू…
रूठ गए हैं पिया हमारे - गीत - संजय राजभर 'समित'
काजल कंगन बाली झुमका, ख़ुद को ख़ूब सजाऊँगी। रूठ गए हैं पिया हमारे, उनको आज मनाऊँगी। छोटी-छोटी बातों में हम, जीवन नहीं गँवाएँगे। इस चार…
कविताएँ जन्म लेती है - कविता - इमरान खान
स्वाभाविक है उन शब्दों का विकसित होना जिसके मूल में कविताएँ जन्म लेती है, कविता जीवन है या जीवन कविता है, जिसके अन्तस में कवि ख़ुद को …
किसान का गान - कविता - गोलेन्द्र पटेल
घने जंगल में घने घन छाए माँ! वीरों को रणभूमि में लाना है हमें तेरी ही प्रशंसा गाना है चाहे प्राण भले ही जाए स्वयं को कर्तव्य-पथ पर चला…
आओ पधारो गजानंद - गीत - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'
विघ्न विनाशक मंगल दायक, गणपति महाराज। आओ पधारो गजानंदजी, सब सारो म्हारा काज॥ बुद्धि विधाता श्रीगणेश, गौरीसुत विनायक देवा। रिद्धि सि…
गजानन तेरी महिमा प्यारी - कविता - डॉ॰ रोहित श्रीवास्तव 'सृजन'
हे प्रभु! तेरी मूषक सवारी, गजानन तेरी महिमा प्यारी! भक्तों पर जब कष्ट पड़े तो, पल भर में कष्ट हरे तू सारी! प्रथम पूजनीय तू है देवता, ग…
प्रतीक्षारत - कविता - संजीव चंदेल
रातरानी रात भर करती रही इंतज़ार, चाँद सारी रात तेरे लिए रहा बेकरार। मैं तेरी याद में लिखता रहा ग़ज़ल, फिर भी तू ऐ सनम! आई नहीं नज़र। चा…
फिर से तुमको माँगूँगी - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
आज कठिन व्रत धारण करके, फिर से तुमको माँगूँगी। नए जन्म के इंतज़ार में, जीवनपथ पर भागूँगी। जनम-जनम के तुम हो साथी, ना मेरे बिन रह पाओगे।…
प्रथम पूजनीय आराध्य गजानंद - कविता - गणपत लाल उदय
प्रथम पूजनीय प्यारे आराध्य गजानन्द, मनोकामना पूरी करतें हमारे गजानन्द। कष्ट विनायक रिद्धि-सिद्धि फलदायक, झुकाकर शीश हम करते है अभिनंद…
बालहठ - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
मर्यादा को लाँघ जाता है बालहठ, उसे बढ़ने दो समय के अनुसार, उन्हें रोक देना जब सीमा का अतिक्रमण हो, उनमें आकाश छूने की चाहत है आपको चा…
अँगूठी का निशान - कविता - शिवानी कार्की
उसके गाल पर निशान है आज शायद अँगूठी का हैं, वो ज़रा ख़ुश हैं आज अपने ऑफ़िस में, सबको बता रहा हैं शिकवा नहीं हैं उसको, बड़ा गर्व जता रहा …
सदा सुहागन - कविता - रविंद्र दुबे 'बाबु'
जन्म-जन्म का साथ रहे, मेरे साजन का, हर राह में हो हरदम साथ, पिया मनभावन का। हे भोले बाबा शिव, माँ सती दो वरदान, आरती करूँ माँगू मैं…
गणेश वन्दना - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
गजानन पधारो घर पुनः प्रकट, शिवनन्दन देवेश अघारी। गणपति बप्पा मौर्या वंदन, अभिनंदन गणेश तुम्हारी। पद सरोज गणपति नमन विनत, करूँ गजा…
भ्रष्टाचार बहुत है - कहानी - अंकुर सिंह
राजू और उसके दोस्तों जैसे ही स्टेशन पर पहुँचे उन्हें पता चला कि ट्रेन दो घंटे लेट हैं। उसके बाद वह सभी दोस्त एक बेंच पर बैठे अपने स्मा…
हज़ारों ख़्वाहिशें - कविता - राकेश कुशवाहा राही
तेरा मेरी ओर देखना परेशान करता है मुझे, तब जन्म लेती है हज़ारों ख़्वाहिशें जो सोचने को विवश करती है मुझे। आँखों से बहुत कहना निःशब्द …
वाणी से ब्रह्म की ओर - कविता - विनय विश्वा
मानुष की पहली माकूल 'मुक्तक' स्वर की सुरीली ध्वनियों से ध्वनित शैशव की है ये स्वर वाणी ऊँ, आ आ, ...हून, सृजन की समर्थता की है…
चरित्र - कविता - जितेंद्र रघुवंशी 'चाँद'
मारकर अपने चरित्र को जीना कहा उचित है, जीना है चरित्र के साथ मन उसी में हर्षित है। बदले क्यों हम किसी के लिए अपने आप को, नहीं है कर…
पटरी पर खोज - संस्मरण - संगीता राजपूत 'श्यामा'
बात छोटी है लेकिन मन को लग गई और संस्मरण बन गई। क़रीब चौदह साल पहले हम अपने मायके कानपुर से अलीगढ़ आने के लिए रेलवे स्टेशन पर बैठ गए। ट्…
बोलती आँखें - कविता - बृज उमराव
आँखों की है बात अजब सी, नैनों का संसार निराला। आँखों में बस्ती है दुनियाँ, नज़रों से दिखता जग सारा।। ग़ुस्से में दिखती यह लाल, नीली आँखो…
बालहठ - कविता - सुनीता भट्ट पैन्यूली
साँझ की वेला में पहाड़ी के नीचे घास की बिछावन में लेटकर वह देखती निर्निमेंष सूरज की भावभंगिमा को कौतुहलता वश... सहसा सूरज उसके माथे पर…
खेल में महिलाओं की अग्रणी भूमिका - लेख - मनोज कौशल | राष्ट्रीय खेल दिवस (29 अगस्त) पर लेख
भारत में प्रतिवर्ष खेल को बढ़ावा देने हेतू 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का इस…
शरद ऋतु - कविता - शालिनी तिवारी
शरद ऋतु के आगमन संग घास-फूस पत्ते झाड़ियों में, रजत वर्ण ऊन की चादर ओढ़े दिखते खेत खलिहान बड़ियों में। रात सुहानी हैं होती ओस की बौछार…
प्रभु छोड़ न देना साथ मेरा - गीत - गोकुल कोठारी
चाहे फूल दो मुझको या काँटे, प्रभु छोड़ न देना साथ मेरा। बड़ी दूर तलक ये जीवन पथ, प्रभु छोड़ न देना हाथ मेरा। ज़ख्म भले ही टीसें प्रभु …
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