आज कठिन व्रत धारण करके,
फिर से तुमको माँगूँगी।
नए जन्म के इंतज़ार में,
जीवनपथ पर भागूँगी।
जनम-जनम के तुम हो साथी,
ना मेरे बिन रह पाओगे।
तुमको भी बेचैनी होगी,
गर देख न मुझको पाओगे।
काम अभी कुछ करने बाक़ी,
भली भाँति निपटा दूँगी।
याद तुम्हारी दिल में लेकर,
सारे फ़र्ज़ निभा दूँगी।
आज कठिन व्रत धारण करके,
फिर से तुमको माँगूँगी।
नए जन्म के इंतज़ार में,
जीवन पथ पर भागूँगी।
सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)