शालिनी तिवारी - अहमदनगर (महाराष्ट्र)
शरद ऋतु - कविता - शालिनी तिवारी
शनिवार, अगस्त 27, 2022
शरद ऋतु के आगमन संग
घास-फूस पत्ते झाड़ियों में,
रजत वर्ण ऊन की चादर ओढ़े
दिखते खेत खलिहान बड़ियों में।
रात सुहानी हैं होती ओस की बौछार,
दीपोत्सव के संग होते हैं अनेक त्यौहार।
मन उपवन शांत पर थोड़ा चंचल भी,
शरद ऋतु संग धरा का हुआ शृंगार।
अल सुबह घनघोर कोहरा छाया है,
नवरूप के संग विविध सुमन भाया हैं।
कड़कड़ाती ठंड में आती सुहानी बयार,
कंबल, रजाई की बारी, शरद ऋतु आया हैं।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर