शरद ऋतु - कविता - शालिनी तिवारी

शरद ऋतु के आगमन संग
घास-फूस पत्ते झाड़ियों में,
रजत वर्ण ऊन की चादर ओढ़े
दिखते खेत खलिहान बड़ियों में।
रात सुहानी हैं होती ओस की बौछार,
दीपोत्सव के संग होते हैं अनेक त्यौहार।
मन उपवन शांत पर थोड़ा चंचल भी,
शरद ऋतु संग धरा का हुआ शृंगार।
अल सुबह घनघोर कोहरा छाया है,
नवरूप के संग विविध सुमन भाया हैं।
कड़कड़ाती ठंड में आती सुहानी बयार,
कंबल, रजाई की बारी, शरद ऋतु आया हैं।

शालिनी तिवारी - अहमदनगर (महाराष्ट्र)

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