खेल में महिलाओं की अग्रणी भूमिका - लेख - मनोज कौशल | राष्ट्रीय खेल दिवस (29 अगस्त) पर लेख

भारत में प्रतिवर्ष खेल को बढ़ावा देने हेतू 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का इस दिन जन्म हुआ था। उनके स्मृति में प्रतिवर्ष खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। मेजर ध्यानचंद ने ओलंपिक में भारत का झंडा लहराया था और 3 बार ओलम्पिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था। राष्ट्रीय खेल दिवस जिसे नेशनल स्पोर्ट्स डे भी कहा जाता है इस दिन लगभग हर उम्र के लोग मैराथन, कबड्डी, बैडमिंटन, खो-खो यहाँ तक कि क्रिकेट जैसे खेलों में प्रतिभाग करते हैं और बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। राष्ट्रीय खेल दिवस लोगों के लिए सिर्फ़ मनोरंजन का दिन नहीं बल्कि लोगों के अंदर खेल के प्रति जागरूकता भी फैलाने का कार्य करता है। राष्ट्रीय खेल दिवस पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा खिलाड़ियों को द्रोणाचार्य अर्जुन अवार्ड और मेजर ध्यानचंद अवार्ड देकर सम्मानित किया जाता है।
हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है और इस खेल में मेजर ध्यानचंद ने उतना ही सर्वोच्च पद पाया जितना कि क्रिकेट में सर डॉन ब्रैडमैन और फुटबॉल में पेले ने। मेजर ध्यानचंद को हॉकी में अपना पूरा जीवन समर्पित करने के लिए उन्हें 1965 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। मेजर ध्यानचंद के बारे में एक अद्भुत बात कही जाती है कि जब खेल के मैदान में हॉकी की स्टिक लेकर उतरते थे तो गेंद उनके स्टिक में चिपक सी जाती थी, मानो किसी ने उसपर चुम्बक लगा रखी हो। ऐसा प्रतीत होने पर एक बार उनकी स्टिक तोड़कर जाँच भी की गई थी।

सर्वप्रथम राष्ट्रीय खेल दिवस सन 2012 में मनाया गया था। तदुपरांत हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाने लगा है। इस दिन खिलाड़ियों के साथ उनकी प्रतिभा को दिखाने वाले कोच को भी सम्मानित और पुरस्कृत किया जाता है। अब भारत ही नहीं पूरे विश्व में खेल को बढ़ावा देने के लिए स्कूल और कॉलेज स्तर पर खेलकूद प्रतियोगिता कराई जाती है जिसमें कबड्डी, हॉकी, बैडमिंटन, क्रिकेट, मैराथन दौड़, घुड़दौड़, पोलो जैसे अनेकों खेलों का आयोजन कराकर बच्चों को उनके प्रति आस्थावान बनाया जाता है। जिसका प्रतिफल यह हो रहा है कि वर्तमान समय में भारत में खेल का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जिसमें हमारे देश के खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का परचम न लहराया हो। चाहे वह ओलंपिक खेल हो चाहे क्रिकेट का खेल हो चाहे कबड्डी हो या हॉकी का खेल।
भारतीय खिलाड़ियों ने हमेशा अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है और विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। भारत सरकार द्वारा भी खिलाड़ियों को मूलभूत सुविधाएँ दी जाती हैं। उनके मनोबल को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर खेल अकादमी की स्थापना की गई है तथा राज्य की केंद्रीय विद्यालयों में मूलभूत खेल की सुविधाएँ और अध्यापक उपलब्ध कराए गए हैं जिससे बच्चों का भविष्य निर्माण हो सके।
अवगत हो कि वर्तमान में महिला खिलाड़ियों ने अपने अदभुत प्रतिभा से पूरे देश का नाम रोशन किया है। भारत ने इस बार राष्ट्रमंडल खेल में लगभग 61 पदक अपने नाम किया। दिन पर दिन भारत में खेल के प्रति बढ़ती जागरूकता से खिलाड़ी जिस प्रकार अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है वह अद्भुत है। बर्मिंघम में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में लगभग 200 भारतीय एथलीटों ने 16 विभिन्न खेलों में पदक हेतु अपना करतब दिखाया था। भारतीय एथलीटों ने 61 पदक जीता जिसमें 22 स्वर्ण 16 रजत और 23 कांस्य पदक शामिल है संकेत सरगर बर्मिंघम में पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे जिन्होंने पुरुषों के 55 किलोग्राम भारत्तोलन स्पर्धा में रजत पदक जीता था, मीराबाई चानू ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में स्वर्ण पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला बनी जबकि जेरेमी लालरिन्नूंगा पहली एथिलीट बनी। इस प्रकार लगभग 61 पदक खिलाड़ियों ने जीते कुछ अन्य सुशीला देवी, विजय कुमार यादव, बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, दीपिका पुनिया, दीपक पुनिया, रवि कुमार दहिया, विनेश फोगाट, अनु रानी, पीवी सिंधु और अन्य ने पदक अपने नाम किया।
इस तरह खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के बढ़ते क़दम और जीत से पूरे भारत में हर्ष और ख़ुशी का माहौल व्याप्त है।लोग अपने आने वाली पीढ़ियों को खेल के प्रति जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। यह एक सार्थक और सराहनीय पहल है ख़ास तौर से बेटियों के लिए क्योंकि "पढ़े बेटियाँ, बढ़े बेटियाँ" के नारों को बेटियों ने चरितार्थ किया है।
खेलों में सफल खिलाड़ियों को दिए जा रहे पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद पुरस्कार रख दिया गया है।
पंजाब और चंडीगढ़ में राष्ट्रीय खेल दिवस को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है तथा देश के अन्य कॉलेज विश्वविद्यालयों में पारंपरिक रूप से खेल दिवस को मनाया जाता है व बच्चों के अंदर खेल के प्रति श्रद्धा जगाने के लिए खेल के उपयोगिता को बताया जाता है। भारत का दिल कहे जाने वाले ग्रामीण इलाकों में भी एक से बढ़कर एक प्रतिभावान बच्चे खेल की दुनिया में अपनी प्रतिभा परचम लहरा रहे हैं। ग्रामीण स्तरों पर भी सरकार द्वारा खेल को बढ़ावा देने के लिए प्राथमिक परिषदीय विद्यालयों में ब्लॉक जिला एवं प्रदेश स्तर के आयोजन कराए जाते हैं। वर्ष भर राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर खेल प्रतियोगिता कराई जाती है। जिसमें बढ़-चढ़कर बच्चे अपनी प्रतिभाग करते हैं।
भारत विभिन्नताओं का देश है इस देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है बस कमी है तो उस प्रतिभा को निखारने की।
खेल में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने के लिए बच्चों को मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराया जाए जिससे भारत विश्व स्तर पर अपनी प्रतिभा का परचम लहरा सके।

सरकार और सरकार में बैठे ज़िम्मेदार लोगों से यही अपेक्षा करते हैं कि खेल को ज़मीनी स्तर पर ग्रामीण अंचलों में भी आने वाली पीढ़ियों के नव निर्माण एवं राष्ट्र में सर्वोपरि भूमिका निभाने के लिए गाँव में भी खेल के मैदान, खेल की सामग्री एवं खेल के प्रशिक्षक का इंतज़ाम करें जिससे प्रतिभावान छात्र छात्राओं का भविष्य उज्जवल हो सके और हम नित नवीन ऊँचाइयों को छुएँ।

मनोज कौशल - सलयां, चन्दौली (उत्तर प्रदेश)

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