संदेश
धरा का गीत - कविता - मेघना वीरवाल
बसा है धरती के कण कण में प्रेम दया और स्वाभिमान, कहने को महज़ शब्द ही यहाँ मिलेंगे अतरंगी विधि विधान। नित नया भाव जगाती करके सूरज का गु…
पत्थर हूँ - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
पत्थर हूँ टूटकर जुड़ना मुनासिब न होगा, ख़ुद-परस्त दुनिया में साफ़गोई से कुछ हासिल न होगा। पत्थर हूँ... उनसे कह दो चालों के नश्तर न च…
पंख पसार - कविता - रिचा सिंह
लोग क्या सोचेंगे ये काम है उनका, बातें बनाना यही है रीत, कब लोगों ने तुम्हें ख़्वाब दिखाए, कब दिए हैं तुम्हें पंख? गिर गए तो है बात बन…
बड़ा मज़ा आता था - कविता - अखिलेश श्रीवास्तव
बचपन के दिनों में दोस्तों के साथ मिलकर शरारतों को करने में बड़ा मज़ा आता था। बचपन के खेल-खेल में अपने दोस्त की ढीली पैंट नीचे निपकाने …
मन की पीर - गीत - अंशू छौंकर
तुम तो दिल बहलाते आए, मन की पीर सुनो तो जानु। सेमल सुमन नहीं अभिलाषा, प्रेरण पुष्प बनो तो जानू। उर से उर की जान सकोगे, दर्द दिया पहचान…
पुष्प की पीड़ा - कविता - रमाकान्त चौधरी
संवेदनहीन हुआ मानव तो ख़त्म हुईं सब आशाएँ, समझ नहीं पाया यह मानव मेरे मन की अभिलाषाएँ। अभिलाषा थी वीरों के पाँव तले बिछ जाने की, देश…
श्री राधे-राधे रटता हूँ - कविता - अनिकेत सागर
चाहें जिस जगह रहता हूँ, चलता मैं जिस भी पथ पर, नाम तेरा लेना न भूलता हूँ मन में श्री राधे-राधे रटता हूँ। बरसाने वारी ब्रज की दुलारी रा…
आख़िर कौन हो तुम? - कविता - सतीश शर्मा 'सृजन'
तेरी मुस्कान में शान, जबकि मौन हो तुम। मेरे कान्हा कभी बतला तो, आख़िर कौन हो तुम? तू लड्डू गोपाल है क्यों? गायों का रखपाल है क्यों? मीर…
मज़लूम यहाँ हैं प्यार करें - ग़ज़ल - अविनाश ब्यौहार
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन तक़ती : 22 22 22 22 मज़लूम यहाँ हैं प्यार करें, कुछ थोड़ा सा उपकार करें। गर इश्क़ हुआ है धोखा तो, फिर…
शांतिदूत - कविता - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'
शांतिदूत सृष्टि नियंता माधव हस्तिनापुर आए, ख़बर फैल गई दरबारों में मैत्री का संदेशा लाए। महारथियों से भरी सभा स्वागत में दरबार सजा, …
मैं मान रहा हूँ हार प्रिये - गीत - संजय राजभर 'समित'
मान जाओ हे! महारानी, हम ग़लती से क्यूँ रार किए? अच्छा तुम ही जीतीं मुझसे, मैं मान रहा हूँ हार प्रिये। भोली-भाली छैल छबीली, हया से …
कान्हा तेरी बाँसुरी - कुण्डलिया छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
कान्हा तेरी बाँसुरी, अन्तर्मन का साज। दौड़ी आएँ गोपियाँ, सुन मुरली आवाज़॥ सुन मुरली आवाज़, रंग में भंग मिलावै। दे छछिया भर छाछ, कन्है…
आहिस्ता चल ज़िन्दगी - कविता - स्वाति कुमारी
आहिस्ता चल रहीं ज़िन्दगी, अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाक़ी है, कुछ दर्द मिटाना बाक़ी है, कुछ फ़र्ज़ निभाना बाक़ी है, रफ़्तार में तेरे चलने स…
कान्हा कृष्ण मुरारी - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अभिनंदन कान्हा जनम, विष्णु रूप अवतार। बालरूप लीला मधुर, शान्ति प्रेम रसधार॥ नंदलाल श्री कृष्ण भज, वासुदेव घनश्याम। कर्मवीर पथ सारथी…
अटूट विश्वास - कविता - रविंद्र दुबे 'बाबु'
भगवान बसते कण-कण में, कहाँ-कहाँ खोज मैं आया, मूर्ति गड़ ली, शिला तराशी, देव का वास विश्वास में पाया। कुरुक्षेत्र में योद्धा लाखो है, …
परोपकार की देवी मदर टेरेसा - कविता - आशीष कुमार
26 अगस्त 1910 का दिन था वो, मासूम सी खिली थी एक कली। नाम पड़ा आन्येज़े गोंजा बोयाजियू, जो थी अल्बेनियाई परिवार की लाडली। बचपन से ही बे…
तन-मन देख प्रतीक्षा हारे - गीत - सुशील कुमार
नैन थके हैं थकी दिशाएँ, तन मन देख प्रतीक्षा हारे, सतिए थके थकी रंगोली, कब आओगे द्वार हमारे। नींद बेचकर रात ख़रीदी, रातें ले गईं याद …
हाथों की लकीरें - कविता - दीपक राही
हाथों की लकीरों को मैंने कभी नहीं पढ़ना चाहा, कभी किसी ज्योतिष से दशा-दिशा नहीं पूछी, नक्षत्र ग्रह नहीं पूछें, कभी विश्वास नहीं किया क…
छात्र जीवन - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
ख़ुशियों की तलाश में ख़ुशियाँ छोड़ आए हम, कुछ करने की आस में हर स्वाँस छोड़ आए हम। दर्द कैसा है उर में यह मैं कैसे बताऊँ, घर बनाने की चाह…
पहली नज़र का इश्क़ - कविता - साधना साह
नज़रों का ही खेल सारा कभी इससे मिली उससे मिली तस्सवुर में जो कभी आया ख़्याल उनका मोहब्बत की पाकीज़गी इतनी नज़र फिर मिल न सकी किसी से न मिल…
मन - कविता - श्याम सुन्दर अग्रवाल
तेरा मेरा उसका मन, अजब पहेली सबका मन, मन का जाने मन न कोई, मन ही जाने मन का मन। चाहे ये हो जाए मन, चाहे वो हो जाए मन, भला कहीं पूरा हो…
भीम दुर्योधन युद्ध - कविता - जितेंद्र रघुवंशी 'चाँद'
ललकारा जब भीम को दुर्योधन ने। साधा बाण फिर अर्जुन ने। पर, उसी क्षण रोक लिया, भीम ने, कहा, इसके लिए मैं ही काफ़ी हूँ। क्षमा करे भ्राता, …
जीवन के उस पार क्या है? - कविता - मोनिका मानवी
जीवन के उस पार क्या है? अपार शांति या घोर लालसा? पूर्णतः लालसा नहीं, किन्तु शांति भी नहीं। इस पार इच्छाओं का यदि अंत हुआ हो तो उस पा…
सावन आया - कविता - निहाल सिंह
तमी पपीहा बोले बाड़ी, कोयल गाए माड़ी-माड़ी। नग पे छाई बदली काली, कल-कल बहती नद मतवाली। हदय शिखडिनी का मुस्काया, आया आया सावन आया। प…
झिलमिलाती ज़मीं - कविता - मेहा अनमोल दुबे
दूर कहीं आसमान में झिलमिलाती है, एक और ज़मीं एक और रात, झिलमिलाती सी मेरी और देखती है, बिखरती सी... मुझ तक आ पहुँचती है, फिर समझती ह…
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