मन की पीर - गीत - अंशू छौंकर

तुम तो दिल बहलाते आए,
मन की पीर सुनो तो जानु।
सेमल सुमन नहीं अभिलाषा,
प्रेरण पुष्प बनो तो जानू।

उर से उर की जान सकोगे,
दर्द दिया पहचान सकोगे।
मन की प्रेम वीणा का तुम,
तार बजाओ तो मैं जानू।

बेदर्दी हो याद ना आती,
रात चाँदनी सुख विसराती।
बहुत लिए उपहार तुम्हारे,
प्यार मिले तो प्रियतम मानूँ।

अंशू छौंकर - आगरा (उत्तर प्रदेश)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos