निहाल सिंह - झुन्झुनू (राजस्थान)
सावन आया - कविता - निहाल सिंह
मंगलवार, अगस्त 23, 2022
तमी पपीहा बोले बाड़ी,
कोयल गाए माड़ी-माड़ी।
नग पे छाई बदली काली,
कल-कल बहती नद मतवाली।
हदय शिखडिनी का मुस्काया,
आया आया सावन आया।
पुष्पों को चुमती पुरवाई,
सहन में बुँदे उतर आई।
झर-झर बहता जाए झरना,
पानी पे हंसो का चलना।
उर कृष्ण-सार का ललचाया,
आया आया सावन आया।
बाग में पड़ गए झूले जित,
ऊँची पेंग भरे गौरी नित।
पय से भर गए सकल पोखर,
खेत हुए मेघपुष्प से तर।
चपला चमकी घन गरजाया,
आया आया सावन आया।
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