मज़लूम यहाँ हैं प्यार करें - ग़ज़ल - अविनाश ब्यौहार

अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
तक़ती : 22  22  22  22

मज़लूम यहाँ हैं प्यार करें,
कुछ थोड़ा सा उपकार करें।

गर इश्क़ हुआ है धोखा तो,
फिर कैसे आँखें चार करें।

गजरा तो बालों में बाँधो,
फिर मिल जाएँ अभिसार करें।

है ऋतु जाड़े की फूल खिले,
फूलों में हरसिंगार करें।

जंग लगे औज़ार पड़े हैं,
उन औज़ारों में धार करें।

मज़बूत शिकंजा दुश्मन का,
अब उन लोगों पर वार करें।

अविनाश ब्यौहार - जबलपुर (मध्य प्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos