रमाकान्त सोनी 'सुदर्शन' - झुंझुनू (राजस्थान)
शांतिदूत - कविता - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'
गुरुवार, अगस्त 25, 2022
शांतिदूत सृष्टि नियंता माधव हस्तिनापुर आए,
ख़बर फैल गई दरबारों में मैत्री का संदेशा लाए।
महारथियों से भरी सभा स्वागत में दरबार सजा,
दिया संदेशा पांडवों का केशव क्या है कहो रजा।
पुत्र मोह में बंधे हुए धृतराष्ट्र कुछ कह नहीं पाते थे,
अधिकार आधा पांडवों का देते हुए सकुचाते थे।
आधा नहीं दो पाँच गाँव ये संधि प्रस्ताव ज़रा मानो,
भाई-भाई में महायुद्ध होगा भीषण विनाशक जानो।
वीरों का रक्त बहेगा अविरल महाकाल मुख खोलेगा,
प्रलयंकारी ज्वालाएँ बरसेगी विनाशक शस्त्र बोलेगा।
दुर्योधन मद मे अंधा हरि वचनों को ना जान सका,
शांतिदूत ख़ुद नारायण ना हरि रूप पहचान सका।
दुशासन बोला घायल करे वाणी के तीखे तीरों से,
सुलह की सब बातें छोड़ो बाँधो इनको ज़ंजीरों से।
जो जगत का पालन करते वो सृष्टि के करतार है,
चक्र सुदर्शन धारी माधव हम सबके खेवनहार है।
दिव्य रूप अलौकिक भरी सभा में दिखा दिया,
जल थल नभ सारी सृष्टि युग पुरुष समा लिया।
यादवेन्द्र कुपित हो बोले बाँधो दुर्योधन आज मुझे,
महाभारत कारण तुम हो रक्तरंजित सरताज तुझे।
नीर समीर अनल मुझमे धरा व्योम सब चाँद तारे,
सकल चराचर विचरण जो जीव बसते मुझमें सारे।
मुझसे ही आनंद जगत में महाप्रलय भी आते हैं,
जल स्रोत निकल सारे महासागर में मिल जाते हैं।
सबका भाग्यविधाता हूँ जन्म मरण मुझसे पाते,
सबकी डोर मेरे हाथों में सब लौटकर मुझमें आते।
संधि का प्रस्ताव दुर्योधन तुमने आज ठुकराया है,
भीषण महासंग्राम हो सुन काल तेरा भी आया है।
रथि महारथी महायुद्ध होगा तीरों से तीर टकराएँगे,
ज्वालाएँ बरसेगी भू पर नरमुंड धरा पर आएँगे।
बंधु बांधव प्रतिद्वंद्वी हो मर मिटने को होंगे तैयार,
अनीति की हार होगी सत्य की होगी जय जयकार।
जो सुपथ अनुगामी है उल्लेख उनका भी आएगा,
इतिहासों के पन्नों में समर महाभारत कहलाएगा।
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