संदेश
तलाश - कविता - अर्चना कोहली
हताशा से दिल क्यों भारी है, निराशा से क्यों की यारी है। क्यों खोया है तुमने आस को, क्यों इच्छा अपनी मारी है।। पता नहीं कौन-सी उलझन है,…
विनती प्रभु स्वीकार करो - मानव छंद - डॉ॰ आदेश कुमार गुप्ता पंकज
शरण आप की आया हूँ। साथ न कुछ भी लाया हूँ।। विनती प्रभु स्वीकार करो। शीश पर अपना हाथ धरो।। मैं अज्ञानी ज्ञान नहीं। भूलों का है भान नहीं…
विरह की अग्नि - कविता - भारमल गर्ग
बिंदी माथे पे सजाकर कर लिया सोलह शृंगार। प्राणप्रिय आपकी राह में बिछाई पुष्प वह पगार।। शय्या पर भी चुनट पड़ी बोले सारी-सारी रात। नींद …
रिश्ते - कविता - आदेश आर्य 'बसन्त'
दौलत से रिश्तो को तौल कर, क्या कोई ख़ुश रह पाया है। रिश्तो में ही है ख़ुशियाँ सारी, रिश्तो में ही संसार समाया है। कुछ बाहर के लोगों क…
मेरी नन्हीं दुनिया - कविता - सुनील माहेश्वरी
जहाँ जन्म हुआ उन यादों को कैसे भूल जाएँ, जहाँ बीता बचपन मेरा उस ख़्वाबगाह को क्यों भूल जाएँ। मिट्टी के घरौंदे बचपन की मस्ती थी सबस…
बेटियाँ - कविता - वर्षा अग्रवाल
पायल की झंकार बेटियाँ, होती बड़ी समझदार बेटियाँ, माँ-बाप को करती सहयोग, कभी ना करती है उनका विरोध, ख़्वाहिशों को दिल में रखती, दर्द दिल…
चलो बचाएँ नदी हम - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
जल जीवन अनमोल है, गिरि पयोद नद बन्धु। तरसे नदियाँ जल बिना, जो जीवन रस सिन्धु।। नदियों का पानी विमल, है जीवन वरदान। पूज्य सदा होतीं जग…
हमारे पूर्वज - कविता - रमाकांत सोनी
परिवार की नींव है पूर्वज, संस्कारों के दाता है। वटवृक्ष की छाँव सलोनी, बगिया को महकाता है। सुख समृद्धि जिनके दम से, घर में ख़ुशियाँ आ…
इतना मत इतराता चल - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा तक़ती : 22 22 22 2 इतना मत इतराता चल, आँख नहीं मटकाता चल। जो करना है आज करें, काम नहीं टरकाता चल। सेवा-…
रह जाती है सूनी डाली - कविता - राघवेंद्र सिंह
जिस दिन एक फूल जुदा होगा, उस डाली का फिर क्या होगा। था सींचा जिसने दिन रात उसे, उस माली का फिर क्या होगा। जिस दिन आई होगी आंँधी, वह डा…
इसी का नाम जीना है - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
आशा मत छोड़ना इसी का नाम जीना है। हार से निराश नहीं होना इसी का नाम जीना है। यात्रा लम्बी हो कंटकमय पंथ हो ऊबड़-खाबड़ जलमग्न हो चलते ज…
जीने की राह - कविता - गोपाल जी वर्मा
धरा पर पाँव है, और उपर आकाश है, तुम्ही बताओ तुमको किस कमी का एहसास है। पक्षी करते नही धन सँग्रह, पशु जमा नहीं करते कोई धन। कल की चिं…
परदेश आगमन - गीत - अभिनव मिश्र 'अदम्य'
हमे लखन सा वनवासी बन, घर से दूर बहुत जाना है, तुम्हे उर्मिला बनकर मेरी अवधपुरी में रहना होगा। मेरे जाने का वह पल भी कितना हृदयविदारक ह…
घट - दोहा छंद - महेन्द्र सिंह राज
घट है माटी से बना, लगा अल्प सा दाम। लू में शीतल वारि दे, आता बहुतों काम।। घट-घट में भगवान हैं, जीव जीव में जान। हर प्राणी भगवान का…
धन के सँग सम्मान बँटेगा - कविता - अंकुर सिंह
धन दौलत के लालच में, भाई भाई से युद्ध छिड़ा है। भूल के सगे रिश्ते नातों को, भाई-भाई से स्वतः भिडा़ है।। एक ही माँ की दो औलादें, नंगी ख…
जीवन के रंग - कविता - ऋचा तिवारी
जीवन की तेरी नैया में, कितने ही थपेड़े आ जाए। पर कोशिश करना केवल तुम, लहरों से कभी न घबराए। ये हार जीत का खेल सदा, जीवन में हर पल आएगा…
हम भारत के मूलनिवासी - कविता - रमाकान्त चौधरी
हम भारत के मूलनिवासी, भारत मेरी शान। इसकी रक्षा ख़ातिर मेरी जान भी है क़ुर्बान। जाने कितने खनिज छिपे हैं इसकी धरती में, चरण पखारे सागर…
बिखरते रिश्ते - कविता - डॉ॰ राजेश पुरोहित
ख़ुदगर्ज़ी के आलम में, सारे रिश्ते बिखर गए। धन दौलत के झूठे क़िस्से, वो जाने किधर गए।। प्यार की दौलत ही सच थी, एक दुनिया में मगर। आदमी ने…
दीपक नया जलाना है - ताटंक छंद - डॉ॰ आदेश कुमार गुप्ता पंकज
अत्याचार बढ़ा धरती पर, शिव को हमें जगाना है। सत्य पड़ा ख़तरे में है अब, उस को हमें बचाना है।। समर भूमि में दुश्मन आया, उसको मार भगाना है।…
सौदागर - कविता - सीमा वर्णिका
चारों तरफ़ है ठगों का डेरा, अरे! सौदागर कहाँ का फेरा। मृगनयनी कंचन काया, सौंदर्य की अद्भुत माया, सम्मोहन बिखरा पाया। स्वर्ण सा दमके यहा…
दिल उनका भी अब इख़्तियार में नहीं है - ग़ज़ल - अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श'
अरकान: फ़ाईलुन फ़ाईलुन फ़ऊलु फ़ाइलातुन तक़ती: 222 222 121 2122 दिल उनका भी अब इख़्तियार में नहीं है, क्यूँ रंगत अब उस रंग-बार में नहीं है। …
किसान - कविता - काजल चौधरी
कृषि प्रधान देश हमारा, हमको जान से प्यारा है। देश की शान, देश का मान, हे कृषक तुम हो महान! बहाते पसीना दिन-रात हो, तुम हमारा अभिमान हो…
भूलूँगा मैं कैसे तुम्हें - गीत - दीपक राही
रहबर मुझे कहते हो तुम, भूलूँगा मैं कैसे तुम्हें...2 मिले थे कभी अनजाने में, वो बात ना हुई फिर कभी, रहबर मुझे कहते हो तुम, भूलूँगा मैं …
बारिश की भयावहता - कविता - मिथलेश वर्मा
बारिश की भयावहता उनसे पूछो, जब वर्षा जम के बरसती है। घासों के छप्पर से बूँदें, टप-टप कर टपकती है। बारिश उतनी भी सुंदर नहीं होती, जितनी…
दान - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
युगों युगों से चली आ रही दान की परंम्पराओं का समय के साथ बदलाव भी दिखा। देने से अधिक दिखाने का प्रचलन बढ़ा। थोड़ा देकर अधिक प्रचार कर रह…
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर