संदेश
बाबा नागार्जुन - कविता - अशोक योगी शास्त्री
निशा के मध्य प्रहर में दरवाजे की घंटी बजी किसी अनहोनी की आशंका में धड़कन हृदय की बढ़ने लगी कंपकंपाते हाथों से जब खोला दरवाज…
सावन का वृक्षों के बिना कोई वजूद नहीं - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
यूं तो सावन की अपनी कई पहचाने हैं, कई महत्व हैं, उसमें एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि सावन माह का बेसब्री से इंतजार देश का वन विभाग…
यायावर बढ़ते रहो - मुक्तक - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
यायावर बढ़ते रहो अपने ध्येय पथ, आएँगे विघ्न बहुतेरे संघर्ष रथ, घायल होंगी भावनाएँ दिल में …
कोरोना इंसान को बदल दिया - कविता - मधुस्मिता सेनापति
घुटन होने लगी है, उन लोगों को, इस केद से, जो एक दिन कहते थे, लड़कियों को ही घर में रहनी चाहिए... आज मास्क लगा लगा कर थक गए वह लो…
माँ याद बहुत ही आती हो - कविता - शेखर कुमार रंजन
यह कविता अपनी माँ से दूर रहकर पढ़ाई करने वाले बच्चों के दर्द को बयां करती हैं जो उनकी माँ को समर्पित किया जाता है। जब बच्चें पहली बा…
दुश्मन को धूल चटाना है - कविता - मयंक कर्दम
जाग उठो अब वीरों तुम, दुश्मन को मार गिराना है। लहू बहे शत्रु के सीने से, दुश्मन को धूल चटा ना है।। माथे लगाओ देश की माटी, चट्…
मानव-मन है अति मालिन, धैर्य खो रहे लोग - कविता - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"
मजबूरी कैसी बनी, हो अति दीन रो रहे लोग। मानव-मन है अति मलिन, धैर्य खो रहे लोग।। यह है कैसी महामारी, जिसे भोग रहे हैं लोग। अपनों…
मोदी जी की लद्दाख में सरप्राइज विजिट ने दिया शानदार संदेश - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
पी एम की लद्दाख यात्रा ने सीधा यही सन्देश दिया कि, हम किसी से कम नहीं। उनकी लेह यात्रा वाकई एक शानदार, जिम्मेदार एवं गौरवशाली मुख…
योगेश्वर अभिराम मन - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मुख सरोज मृदु चन्द्रिका , कमलनैन घनश्याम। बिम्बाधर गोपाल शुभ , मोरमुकुट अभिराम।।१।। मुक्तामणि कुण्डल सुभग ,…
रिश्तों के बीज - कविता - सौरभ तिवारी
रिश्तों में भूख भी होती है, प्यासे रिश्ते भी होते हैं। रिश्तों में बसंत बहार भी है इनमें पतझड़ भी होते हैं। अहसासों की खाद मिल…
लॉकडाउन से मिलती सीख - कविता - अतुल पाठक
लॉकडाउन ने जीवन को इक आशा की किरण दिखलाई है लॉकडाउन में मानव के धैर्य की परीक्षा की घड़ी आई है लॉकडाउन को गम्भीरता से मानव को ले…
सलाम कोरोना महायोद्धा - कविता - मधुस्मिता सेनापति
एक महामारी ने आज, समग्र विश्व में भूचाल मचाया, जीना आज हुआ मुश्किल, सुप्त को उसने आज जागना सिखाया....!! पूरे विश्व के बचाव के …
किस्मत वालों में - कविता - सतीश श्रीवास्तव
जीवन के पल उलझे उलझे रहे निवालों में, और समय ने उलझाया बस हमें सवालों में। जिनकी दम थी बुरे वक्त में साथ निभायेंगे, पता नहीं वह …
इंसान - प्रार्थना - शेखर कुमार रंजन
ऐसा बनू मैं एक इंसान, दुनिया जाने मेरा नाम पढ़लिख कर महान बनू मैं, भारत माँ की शान रहूँ। ऐसा बना दो हे भगवान, मैं भी तो हूँ आखि…
गुरु पूर्ण माँ - कविता - सौरभ तिवारी
माँ ही पूर्ण गुरु है जग की माँ पहला ज्ञान सिखाती है। ममता के पुस्तक बाँच बाँच जीवन की राह दिखाती है। पहला अक्षर ही जीवन का माँ…
गुरु महिमा है अतिगहन - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मातु पिता भाई समा , मीत प्रीत गुरु होय। सदाचार परहित विनत , समरसता गुरु सोय।।१।। लोभ मोह मद झूठ को , अन्तर्मन तज धी…
गुरु - कविता - अतुल पाठक
नवजीवन देता है सबको नवशक्ति का आह्वान करे जो झुक जाता गुरु के आगे वह गुरु ही सबका उद्धार करे मार्गदर्शक वो गुरु शिक्षक ही जीवन…
गुरु ज्ञान का आहार दे - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
प्रलय भी निर्माण भी, हैं गोद जिसकी पल रहे। शिक्षक प्रणेता राष्ट्र का , कर्तव्य पर यदि दृढ़ रहे। यदि विमुख है गुरु धर्म से , …
एकता की नीति भारत संस्कृति - कविता - मधुस्मिता सेनापति
भारतीय संस्कृति विश्व की है निधि अमूल्य भाव से भरा है इसकी संपत्ति जिससे हम सभी को प्राप्त होती हैं नीरपेक्ष भाव की वह विधि.....!…
शौर्य मुदित सीमा वतन - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
शौर्यशक्ति से शान्ति हो, प्रेमशक्ति सम्मान। त्याग शक्ति सुख प्राप्ति हो, राष्ट्र शक्ति अभिमान।।१।। मातृभूमि …
भय के आगे जीत है - लेख - शेखर कुमार रंजन
आप इतिहास उलटकर देख लो बड़े से बड़े हस्तियों को बहुत सारे लोगों ने अस्वीकार किया था। आलोचको ने किसी को भी नहीं छोड़ा है, तो क्या मुझे …
अमर घर चल - कविता - सतीश श्रीवास्तव
अमर घर चल अब नहीं कहना पड़ता अमर अब रहता है घर के अंदर उसे पता है घर पर रहने के फायदे अब नहीं कहना पड़ता झटपट कर नल पर चल नह…
यह मेरी हसरत है - कविता - अतुल पाठक
जीवन में मन चाहे रंग भर सकूँ यह मेरी हसरत है खुशी प्यार बेशुमार लुटा सकूँ यह मेरी हसरत है सब के चेहरे पे हँसी मुस्कान ला सकूँ…
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