एकता की नीति भारत संस्कृति - कविता - मधुस्मिता सेनापति

भारतीय संस्कृति विश्व की है निधि
अमूल्य भाव से भरा है इसकी संपत्ति
जिससे हम सभी को प्राप्त होती हैं
नीरपेक्ष भाव की वह विधि.....!!

धन्य वह भारतीय संस्कृति
जिसमें इंसानियत, उदारता, एकता
धर्मनिरपेक्ष की भाव है निहित
वहीं उत्कृष्ट संस्कृति का है प्रतीक......!!

समन्वय, सदाचार से बनी है यह भारत
जहां गीता, और भागवत के साथ है
सम्मिलित रामायण  और वह महाभारत
यही तो हिंदुस्तान का है रियासत......!!

परिवार, जातियां, धार्मिक समुदायों का सभ्याचार
जहां विवाह, रीति, रिवाज है मंगलाचार
यहां परंपराएं उत्सवों का है समाहार
आदर्श की वह माला जो बनी है भारत माता की गले की हार......!!

यह भारत माता की है द्वार
यहां तनिक भी नहीं होती है भेद व्यवहार
यहां सब को मिलती है अपना अधिकार
यह देश लोकतंत्र का है आधार......!!

यह देश है पशु-पक्षियों, नदी- झरने की समस्टी
सभी धर्म, विश्वास भाव की हैं अतिवृष्टि
जहां विजय पा ना सके वो प्रभुत्ववाद का श्रष्टा
वहां प्रतिष्ठा होती है हिंदुस्तान की पराकाष्ठा.......!!

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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