भय के आगे जीत है - लेख - शेखर कुमार रंजन

आप इतिहास उलटकर देख लो बड़े से बड़े हस्तियों को बहुत सारे लोगों ने अस्वीकार किया था। आलोचको ने किसी को भी नहीं छोड़ा है, तो क्या मुझे और आपको छोड़ देगा। मेरा मानना है कभी भी नहीं ऐसे लोगों को देखते ही पतली गली से निकल जाना चाहिए नहीं तो वो आपके मनोबल को चकनाचूर करने में जरा भी समय नहीं लेगा। अगर ऐसे व्यक्तियों से दूर रह रहे हो तो इसी में आपकी भलाई है। हमें दूसरों के गलतियों के साथ-साथ अपनी गलतियों से भी सीखने की आवश्यकता है। मैं जीवन में अनेक ऐसे लोगों से प्रभावित हूँ, जिनकी अन्य लोग निन्दा करते हैं और ऎसे भी कई लोगों से प्रभावित हूँ, जिनकी हर कोई प्रशंसा करता है। किसी महान इंसान ने कहा है कि किसी का कोई गुण प्रभावित करें तो बिना स्टेटस की परवाह किये उस व्यक्ति के पास जाकर यह कहने का साहस होना चाहिए कि मैं आपसे यह सीखना चाहता हूँ इसमें कुछ भी लज्जा नहीं होनी चाहिए। आपमें इतनी साहस होनी चाहिए कि आप गलत व्यवस्थाओं का विरोध कर सकें। सही मुद्दों के पक्ष में अपनी बात रख सकें।

किसी बड़े महापुरुष ने कहा है कि भय महसूस हो, तो भी सही काम करते रहिये क्योंकि भय के आगे ही जीत हैं। किसी महान विचारक ने यह कहा था कि जब पास में कुछ ना हो, तो सहजता मजबूरी हो सकती हैं, परंतु सब कुछ हो लेकिन फिर भी सहजता हो, तो वह शक्ति होती हैं। एक बात आज ही मन में गाँठ बाँध लीजिये यदि किसी का कोई गुण आपके दिल को छू जाएँ तो उस व्यक्ति तक अपनी प्रशंसा जरूर पहुंचाए क्योंकि इससे उसमें यह गुण और भी निखरेगा। पता नहीं कुछ लोगों की सोच कैसी होती हैं सादगी को कमजोरी के रूप में देखते हैं लेकिन मैं हमेशा ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि चाहे मैं कितना भी प्रसिद्ध हो जाऊं, चाहे मै कितनी भी उपलब्धियाँ हासिल कर लू लेकिन मेरे भीतर सादगी जरूर देना। हमें यह बात नहीं भूलना चाहिए कि आम आदमी हमेशा अपने अनुभवों से सीखता है। तथा बुद्धिमान व्यक्ति अपने अनुभव के साथ-साथ दूसरों के अनुभवों से भी सीखते हैं। किसी महान विचारक का कहना था कि आप हर चीज को गहराई तक जाने यह जरूरी नहीं किन्तु यह बेहद जरूरी है कि आप ऎसे लोगों को जाने जो गहराई तक जानते हो। बहुत सारे काम ऐसा होता है जो पैसों से नहीं हो पाता है और पहचान करा देता है। इसलिए हमें दूसरों के सहयोग करने से पीछे नहीं हटना चाहिए साथ ही यदि कोई समस्या हो, तो अपने जानपहचान वालों से मदद मांगने में हिचक महसूस ना करें किन्तु इस बात का ध्यान रखें कि आपके मदद करने से उक्त व्यक्ति को किसी प्रकार की समस्या नहीं हो यदि आपकी मदद करने से उक्त व्यक्ति को समस्या हो सकती हो, तो उनसे बिलकुल भी मदद ना ले।


शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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