आएँगे विघ्न बहुतेरे संघर्ष रथ,
घायल होंगी भावनाएँ दिल में जख़्म,
राहें दिखाएँगी सितम वही अनवरत।
संघर्ष का जल्द अन्त होगा ले समझ,
धीर साहसी बनो खु़द पे विश्वास रख,
इच्छाशक्ति प्रबल निर्मल स्वसंकल्प दृढ़,
अनसुना निन्दक करो नित चलो विजय पथ।
मानो सदा है सच की राहें कठिनतर,
धीरता खोता नहीं वो होता सफलतर,
विघ्नों से निकल आनंद होता तब विजय,
पुरुषार्थी सत्कर्म पथ हो जीवन सफल।
मानव नैतिक मूल्यों को चल ले मानस ,
सदाचार निर्माण जन स्वाभिमान सतत,
हूंकार भरो रणबांकुर बलवान वतन,
हारेगी बाधा ख़ुद होगी सत्य विजय।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली